आज के आर्टिकल में हम राजस्थान के जयपुर जिले | जयपुर District के बारे में विस्तार से जानेंगे। राजस्थान के नए जिले से सम्बन्धी महत्वपूर्ण जानकारी जैसे- जिले का क्षेत्रफल, जयपुर भौगोलिक स्थिति, जयपुर विधानसभा क्षेत्र, जयपुर District History Culture & Geography का विस्तार से अध्ययन करेंगे।
जयपुर , शहर , राजस्थान राज्य की राजधानी, उत्तर-पश्चिमी भारत । यह राज्य के पूर्व-मध्य भाग में स्थित है, जो अलवर (उत्तर पूर्व) और अजमेर (दक्षिण पश्चिम) से लगभग समान दूरी पर है। यह राजस्थान का सबसे अधिक आबादी वाला शहर है
जयपुर, गुलाबी शहर भारत के रेगिस्तानी राज्य राजस्थान की राजधानी है । जयपुर की स्थापना महाराजा सवाई जय सिंह द्वितीय ने 18 नवंबर 1727 को की थी और इसका नाम इसके संस्थापक के नाम पर रखा गया था। यह थार रेगिस्तान की पूर्वी सीमा पर स्थित है जो भारत का एकमात्र रेगिस्तान है । पश्चिमी दिशा में यह पाकिस्तान के साथ मनमोहक और रहस्यमय रेगिस्तान की एक आम अंतरराष्ट्रीय सीमा साझा करता है।
District विधान सभा सीटे
विधानसभा की कुल सीटे -8 1.हवामहल
2.विद्याधर नगर
3.सिविल लाइंस
4.आदर्श नगर
5.मालवीय नगर
6.सांगानेर
7.बगरू 8. किशनपोल
जिले का भौगोलिक-प्रशासनिक परिचय
- जयपुर जिला भारत के सबसे बड़े राज्य राजस्थान की राजधानी है।
- जयपुर जिले की जनसंख्या लगभग 30 लाख है।
- जनसंख्या के मामले में भारत का 10वां सबसे बड़ा शहर है। जयपुर को “पिंक सिटी” के नाम से भी जाना जाता है।
- जयपुर का नाम सवाई जय सिंह के नाम पर रखा गया है।
दर्शनीय स्थल:
हवामहल:
- इसका निर्माण 1799 में सवाई प्रतापसिंह के द्वारा किया गया।
- इसमें कुल 953 खिड़कियां हैं और इसकी आकृति श्री कृष्ण के मुकुट की तरह है।
वर्ल्ड ट्रेड पार्क (World Trade Park):
यह एक शॉपिंग मॉल है जिसे 2012 में खोला गया था।
इसे एयर कार्गो कॉम्प्लेक्स भी कहते हैं।
जयगढ़ दुर्ग – आमेर:
- इसका निर्माण राजा जय सिंह ने करवाया था।
- सवाई जय सिंह ने एशिया की सबसे बड़ी तोप ‘जय बाण’ तोप यहीं बनवाई थी।
- यहां एक छोटा दुर्ग है जिसे विजयवाड़ी कहते हैं।
नाहरगढ़ का किला (सुरदर्शन और मुकुटमणि):
- इसका निर्माण सवाई जय सिंह ने 1734 में करवाया था।
- इसका नाम नाहरसिंह भोमिया पर रखा गया था।
- इसमें 9 समान महल हैं और इसकी तलहटी में गैटोर की छतरियां बनी हैं।
- इसका निर्माण मराठों से सुरक्षा के लिए किया गया था।
चन्द्रमहल – सिटी पैलेस:
- यह राज परिवार का निवास है।
- यह 7 मंजिला है और इसका निर्माण सवाई जय सिंह ने करवाया।
जंतर मंतर वेधशाला:
- यह एक पत्थर की वेधशाला है।
- यह जय सिंह की पांच वेधशालाओं में से सबसे विशाल है।
- यहां जटिल यंत्र और उनका विन्यास वैज्ञानिक ढंग से तैयार किया गया है, यह सबसे प्रभावशाली यंत्र है।
जल महल
- सवाई जय सिंह ने इसका निर्माण शिकार के लिए करवाया था, लेकिन यह मानसागर झील के बीच में स्थित होने के कारण प्रसिद्ध हुआ।
- इसे रोमांटिक महल के नाम से भी जाना जाता है।
- इसका निर्माण 1799 में हुआ था।
मुबारक महल:
- इसका निर्माण माधो सिंह द्वितीय ने करवाया।
- यह महल मेहमानों के ठहरने के लिए बनाया गया था।
सर्वतोभद्र महल:
- इसका निर्माण सवाई जय सिंह ने करवाया।
- इसे स्थानीय रूप से ‘सरबता महल’ भी कहा जाता है।
प्रीतम निवास महल:
- इसका निर्माण मानसागर झील में किया गया।
- निर्माणकर्ता: सवाई जय सिंह
कला संस्कृति :-
मीनाकारी:-
*सोने के आभोषण को कीमती पत्थर की जाढ़ई का कम मीनाकारी कहलाता है |
*मीनाकारी का प्रसिद्ध कलाकार कुदरत सिंह है |
*आमेर का राजा मानसिंह ने सर्वप्रथम यह किया था|
ब्ल्यू पोटरी ;-
*ब्ल्यू पोटरी मानसिंह के द्वारा लायी है |
*इसका सर्वधिक विकास राम सिंह दिव्तीय के समय हुआ
* ये कला अकबर द्वारा ईरान से लाहौर लाई गयी और वह से राजस्थान में आई|
*ब्ल्यू पोटरी के जादूगर कृपाल सिंह शेखावत |
जरी का कार्य -:
*सवाई जय सिंह के समय शुरुआत हुई थी |
*चमकीले धागों से नक्क्शी करना जरी का कार्य कहलाता है|
*लाख की चिड़िया मुरादाबाद कोफ्त्गिरी संगमरमर की मुर्तिया का कार्य जयपुर में किया गया है |
कत्थक :-
*प्रवर्तक- भानु जी
*राजस्थान का शास्त्री न्रत्य है |
*कत्थक का आदिम घराना:- जयपुर |
तमाशा:-
*जयपुर का प्रसिद्ध लोकनाट्य है | इसकी शुरुआत मान सिंह प्रथम के समय हुआ था|
चित्रकला – जयपुर चित्रकला :-
*इसका विकास जयपुर चित्रशेली के रूप में हुआ
*चित्र – जयदेव का गीतगोविन्द प्रमुख चित्रकार – सहिब्रम , लालचंद, मुहम्मद शाह , सालिगराम और रामजीदास |
*आमेर शेली के प्रमुख चित्र :- कृष्ण लीला ,लैला मजनू ,हाथीघोड़े,आदि|
*प्रमुख रंग हरे रंग प्रधानता |
पोथिखाना;-
*जयपुर राज परिवार का निजी पुश्ताकालय था वर्त्तमान में इसमें चित्रकला संग्रहालय है |
*त्रिपोलिया बाजार – इश्वरीसिंह की छत्री
मीणा जनजाति
मीणा जनजाति राजस्थान के प्रमुख आदिवासी समुदायों में से एक है और उनकी अपनी विशेष संस्कृति, धर्म, और परंपराएँ हैं।
- नाम का अर्थ: ‘मीणा’ शब्द का अर्थ मछली या मत्स्य होता है, जो उनके नामकरण के कारणों को दर्शाता है।
- कुल देवता: मीणा समुदाय के कुल देवता ‘बुझ देवता’ हैं।
- मुखिया: मीणा जनजाति के मुखिया ‘पटेल’ होते हैं।
- अराध्यमाता: उनकी पूजा की मुख्य देवी ‘जीण माता’ है।
- पंचायत: मीणा जनजाति की पंचायत ‘चोरासी’ कहलाती है।
- शिक्षा: मीणा जनजाति के लोग राजस्थान की सबसे अधिक शिक्षित जनजातियों में से माने जाते हैं।
- प्रसिद्ध महोत्सव: तीज महोत्सव और गणगोर महोत्सव जयपुर और आस-पास के इलाकों में बड़े धूमधाम से मनाए जाते हैं।
जयपुर के कुछ महत्वपूर्ण तथ्य
- पूर्व का पेरिस: जयपुर को ‘पूर्व का पेरिस’ कहा जाता है, यह शहर अपनी वास्तुकला और सांस्कृतिक धरोहर के लिए प्रसिद्ध है।
- आइलैंड ऑफ ग्लोरी: प्रसिद्ध वैज्ञानिक सी.वी. रमन ने जयपुर को ‘आइलैंड ऑफ ग्लोरी’ कहा था।
- राजस्थान का पहला साइबर थाना: जयपुर में राजस्थान का पहला साइबर थाना स्थापित किया गया है।
- कलकी मंदिर: विश्व का एकमात्र कलकी मंदिर जयपुर में स्थित है।
- राजपुताना विश्वविद्यालय: राजस्थान का पहला विश्वविद्यालय ‘राजपुताना विश्वविद्यालय’ 1947 में जयपुर में स्थापित हुआ था।
- राष्ट्रीय आयुर्वेद संस्थान: जयपुर में राष्ट्रीय आयुर्वेद संस्थान स्थित है, जो आयुर्वेदिक चिकित्सा के क्षेत्र में महत्वपूर्ण शोध और शिक्षा प्रदान करता है।
- नाहरगढ़ बायोलॉजिकल पार्क: यह जयपुर का एक प्रमुख वन्यजीव पार्क है।
- अशोक विहार मार्ग: यह मार्ग जयपुर के प्रमुख सड़कों में से एक है।
- राष्ट्रीय हथकरघा और कागज निर्माण संस्थान: जयपुर में स्थित यह संस्थान हथकरघा और कागज निर्माण के क्षेत्र में महत्वपूर्ण है।
- जयपुर जंतु संग्रहालय: यह राजस्थान का सबसे बड़ा जंतु संग्रहालय है, जिसकी स्थापना 1876 में राम सिंह ने की थी।
जयपुर का इतिहास
कचवाहा वंश का इतिहास
- कचवाहा वंश का शासन: कचवाहा वंश के शासक दुलेराय थे, जिन्होंने राजस्थान के विभिन्न हिस्सों में शासन किया।
- प्रारंभिक राजधानी: कचवाहा वंश के शासकों ने 1137 ई. में बड़े गुज़रों को पराजित कर अपनी प्रारंभिक राजधानी दोसा स्थापित की।
- कुल देवी: कचवाहा राजवंश की कुल देवी जमवाय माता मानी जाती है, जिन्हें वंश के शासक पूजा करते थे।
कोकिल देव और उनके वंशज
- कोकिल देव का योगदान: कोकिल देव (दुलेराय के वंशज) ने 1207 ई. में आमेर के मीणाओं को पराजित कर आमेर को अपनी राजधानी के रूप में स्थापित किया।
- प्रथ्वीराज का योगदान: कोकिल देव के वंशज प्रथ्वीराज ने खानवा के युद्ध में सांगा का साथ दिया था, जो राजस्थान के इतिहास में एक महत्वपूर्ण युद्ध था।
- सांगानेर: प्रथ्वीराज के पुत्र सांगा ने सांगानेर कस्बा बसाया, जो आज भी जयपुर के महत्वपूर्ण स्थानों में से एक है।
- प्रथ्वीराज की पत्नी: प्रथ्वीराज की पत्नी बालाबाई को आमेर की मीरा के नाम से जाना जाता है, जिनकी पहचान राजस्थान की एक प्रमुख महिला के रूप में की जाती है।
महत्वपूर्ण शासक और उनके योगदान
भारमल (बिहारिमल) – 1547-1574 ई.
- पिता: पृथ्वीराज
- अकबर से गठबंधन: भारमल ने 1562 में संभर स्थान पर अपनी पुत्री हरखाबाई का विवाह अकबर से किया, जिससे मुगलों के साथ वैवाहिक संबंध स्थापित हुए।
- नागोर दरबार: 1570 में भारमल की सलाह पर अकबर ने नागोर दरबार का आयोजन किया, जो राजस्थान में मुगलों के प्रभाव का प्रतीक था।
- पहला शासक: वह राजस्थान के पहले शासक थे जिन्होंने मुगलों की अधीनता स्वीकार की और वैवाहिक संबंध स्थापित किए।
भगवंत दास (1574-1589 ई.)
- पिता: भारमल
- अकबर द्वारा सम्मान: अकबर ने उन्हें 5000 मनसब प्रदान किया था।
- पुत्री का विवाह: उनकी पुत्री का विवाह जहांगीर से हुआ, जो बाद में मुगलों के महत्वपूर्ण शासक बने।
- राणा प्रताप से संबंध: हल्दीघाटी के युद्ध से पहले उन्हें राणा प्रताप को समझाने के लिए भेजा गया था।
मानसिंह
- पिता: भगवंत दास
- आमेर के शक्तिशाली राजा: मानसिंह को आमेर के शासक के रूप में एक शक्तिशाली और रणनीतिक नेता के रूप में जाना जाता था। वे अकबर के प्रमुख राजपूत सहयोगी थे और उन्होंने कई महत्वपूर्ण युद्धों में भाग लिया।
मानसिंह (आमेर के शक्तिशाली राजा):
- हल्दी घाटी युद्ध (1576) में मानसिंह अकबर का प्रमुख हिन्दू सेनापति था।
- मनसब: उन्हें 7000 का मनसब प्राप्त था और उन्हें अकबर ने बंगाल, बिहार, उड़ीसा, और काबुल का सूबेदार नियुक्त किया।
- निर्माण कार्य: मानसिंह ने आमेर दुर्ग, आमेर महल, और जगत शिरोमणि मंदिर का निर्माण करवाया।
- उनका अंतिम अभियान 1614 में अलिचपुर, अहमदनगर में हुआ, जहां उनका निधन हो गया।
मिर्जा राजा जय सिंह:
- मिर्जा राजा जय सिंह ने जहांगीर, शाहजहां, और औरंगजेब के साथ सेवा की।
- उन्होंने जयगढ़ दुर्ग का निर्माण करवाया।
- पुरन्दर की संधि (1665): मिर्जा राजा जय सिंह और शिवाजी के बीच एक संधि हुई, जिसमें 23 दुर्ग मुगलों को सौंप दिए गए थे। बाद में, औरंगजेब ने शिवाजी को धोखा देकर उन्हें कैद किया, लेकिन शिवाजी वेश बदलकर वहां से भागने में सफल रहे।
राजा राम सिंह (1667-1680):
- पिता: मिर्जा राजा जय सिंह
- उनका निधन अफगानिस्तान में हुआ था।
सवाई जय सिंह (1700-1743):
- मूल नाम: विजय सिंह
- उन्होंने 7 मुगलों का समय देखा और औरंगजेब ने उन्हें सवाई की उपाधि दी।
- उन्होंने जयपुर, दिल्ली, उज्जैन, मथुरा, और वाराणसी में जंतर मंतर जैसी वेधशालाओं का निर्माण किया।
- जाजउ का युद्ध (1707) और पिलसुद का युद्ध (1715) में उन्होंने जीत प्राप्त की।
- 1740 में अश्वमेघ यज्ञ का आयोजन किया।
सवाई ईश्वर सिंह (1743-1750):
- सवाई जय सिंह के ज्येष्ठ पुत्र।
- उन्होंने अपने छोटे भाई माधो सिंह प्रथम के विरोध में शासन किया।
- राजमहल युद्ध (1747) और बगरू का युद्ध (1748) में उन्होंने विजय प्राप्त की।
सवाई माधोसिंह (1750-1761):
- सवाई माधोसिंह ने मल्हार राव होलकर के खिलाफ कंकोडा का युद्ध और भटवाडा का युद्ध (1761) में विजय प्राप्त की।
सवाई प्रताप सिंह (1778-1803):
- पिता: सवाई माधोसिंह
- उनके शासनकाल में मराठों के आक्रमण हुए और जयपुर चित्रशैली का स्वर्णकाल माना जाता है।
- मालपुरा का युद्ध में उन्होंने महादजी सिंधिया के खिलाफ जीत हासिल की।
सवाई जगत सिंह द्वितीय (1803-1818):
- पिता: सवाई प्रताप सिंह
- इनके समय में कृष्णाकुमारी विवाद हुआ था।
सवाई राम सिंह द्वितीय (1835-1880):
- उन्होंने 1857 के संग्राम में अंग्रेजों का साथ दिया और सितारे-ए-हिंद की उपाधि प्राप्त की।
- उन्होंने 1878 में रामप्रकाश नाट्यशाला की स्थापना की।
सवाई माधोसिंह द्वितीय (1880-1922):
- उन्हें जयपुर का बब्बर शेर कहा जाता है।
- 1902 में उन्होंने लंदन में एडवर्ड के राज्याभिषेक में भाग लिया।
- उन्होंने नाहरगढ़ में अपनी नौ रानियों के लिए नौ महल बनवाए।
सवाई मान सिंह द्वितीय (1922-1956):
- सवाई माधोसिंह द्वितीय के पुत्र।
- उन्होंने वृहत राजस्थान संघ के राजप्रमुख के रूप में कार्य किया।
जयपुर और उससे जुड़ी अन्य महत्वपूर्ण जानकारी:
सवाई राम सिंह द्वितीय (1818):
- सवाई राम सिंह द्वितीय ने प्रिंस ऑफ वेल्स के जयपुर आगमन पर 1818 में जयपुर की सभी इमारतों को गुलाबी रंग में रंगवाया। यही कारण है कि जयपुर को गुलाबी शहर भी कहा जाता है।
जयपुर के 7 दरवाजे:
- जयपुर शहर में 7 प्रमुख दरवाजे हैं:
- सांगानेरी गेट
- चाँदपोल गेट
- अजमेरी गेट
- सूरजपोल
- घाट गेट
- ध्रुव गेट (जोरावर सिंह दरवाजा)
- न्यू गेट
- जयपुर शहर में 7 प्रमुख दरवाजे हैं:
पद्म श्री सम्मान (2023):
- जयपुर के गजल गायक उस्ताद अहमद हुसैन और मोहम्मद हुसैन को 2023 में पद्म श्री से सम्मानित किया गया।
गाँधीनगर जयपुर:
- गाँधीनगर, जयपुर प्रदेश का पहला ऑल-वुमेन रेलवे स्टेशन है।
जयपुर की राजधानी का इतिहास:
- 30 मार्च, 1949 को पी. सत्यनारायण राव समिति की सिफारिश पर जयपुर को राजस्थान की राजधानी बनाया गया।
जयपुर प्रजामण्डल:
- कर्पूरचंद पाटनी द्वारा 1931 में स्थापित किया गया, और जमनालाल बजाज और हीरालाल शास्त्री के प्रयासों से 1936 में पुनर्गठित हुआ।
भालू रेस्क्यू सेंटर:
- राजस्थान का पहला भालू रेस्क्यू सेंटर नाहरगढ़ जैविक उद्यान, जयपुर में स्थित है।
जयपुर में मेट्रो रेल:
- जयपुर राज्य का एकमात्र शहर है जहाँ मेट्रो रेल संचालित है। इसकी शुरुआत 3 जून, 2015 को एशियाई विकास बैंक के सहयोग से की गई थी।
पर्यटन पुलिस:
- राज्य की पहली पर्यटन पुलिस की शुरुआत जयपुर के जंतर-मंतर और आमेर से हुई थी।
महत्वपूर्ण सांस्कृतिक स्थल:
- जवाहर कला केन्द्र – वास्तुकार चार्ल्स कोरिया द्वारा डिजाइन किया गया।
- अल्बर्ट हॉल म्यूजियम – राजस्थान का सबसे बड़ा संग्रहालय और जयपुर का प्रमुख सांस्कृतिक स्थल।
राजस्थान अकादमियाँ:
- राजस्थान संस्कृत अकादमी – जयपुर में स्थित।
- राजस्थान सिंधी अकादमी – जयपुर में स्थित।
- राजस्थान ब्रजभाषा अकादमी – जयपुर में स्थित।
जयपुर एयरपोर्ट:
- जयपुर अंतर्राष्ट्रीय एयरपोर्ट की स्थापना 29 दिसम्बर, 2005 को हुई थी। अक्टूबर 2021 में इसे अडाणी ग्रुप को 50 साल के लिए सौंपा गया।