Jodhpur District History Culture & Geography || Jodhpur Jila Darshn

नमस्कार दोस्तों आज हम इस पोस्ट के माध्यम से जोधपुर जिले के दर्शनीय स्थल व उसकी महत्वपूर्ण जानकारी प्राप्त करेंगे, भौगोलिक स्थिति, विधानसभा क्षेत्र, जोधपुर  जिले का मानचित्र, जोधपुर जिले जिले की सीमा, District Map ,  District History Culture & जोधपुर  जिले के बारे में इसका इतिहास व् जिला दर्शन  Geography का विस्तार से अध्ययन करेंगे।

District विधान सभा सीटे

जोधपुर जिले में 3 विधानसभा सीटे है-

1.जोधपुर शहर

2. सरदारपुर 

3.सूरसागर

भौगोलिक-प्रशासनिक परिचय व अन्य जानकारी

जोधपुर, जिसे माण्डव्यपुर के नाम से भी जाना जाता है, की स्थापना राव जोधा ने 1459 ई. में की थी। इसे राजस्थान की ऐतिहासिक और सांस्कृतिक धरोहर के रूप में महत्वपूर्ण माना जाता है। 

  • राज्य का प्रथम विधि विश्वविद्यालय: जोधपुर में राज्य का पहला विधि विश्वविद्यालय स्थित है।
  • राजस्थान उच्च न्यायालय: जोधपुर राजस्थान का उच्च न्यायालय है।
  • राजस्थान संगीत नाटक अकादमी: जोधपुर में संगीत और नाटक के लिए एक प्रमुख अकादमी है।
  • राजीव गाँधी ट्यूरिज्म कन्वेंशन सेंटर: राज्य का पहला पर्यटन केंद्र यहाँ स्थित है।
  • घुड़ला महोत्सव: जोधपुर में मनाया जाने वाला एक प्रमुख त्योहार।
  • राज्य का प्रथम रेडियो प्रसारण: जोधपुर ने राज्य का पहला रेडियो प्रसारण किया।
  • उम्मेद भवन (छीतर पैलेस): जोधपुर का ऐतिहासिक महल।
  • मेहरानगढ़ दुर्ग: जोधपुर का प्रसिद्ध किला, जो अपनी वास्तुकला और इतिहास के लिए जाना जाता है।
  • जोधपुर राठौड़ों की प्राचीन राजधानी: यह शहर राठौड़ों का ऐतिहासिक और सांस्कृतिक केंद्र था।
  • 33 करोड़ देवी देवताओं की साल: जोधपुर में एक पुरानी मान्यता के अनुसार 33 करोड़ देवी-देवताओं की पूजा की जाती है।
  • उत्तर भारत का एकमात्र रावण मंदिर: जोधपुर में रावण मंदिर स्थित है, जो उत्तर भारत में अपनी तरह का एकमात्र है।
  • बौरपुरी का मेला: श्रावण मास के अंतिम सोमवार को बौरपुरी में मेला लगता है।
  • नागपंचमी का मेला: जोधपुर में नागपंचमी के दिन विशेष मेला आयोजित किया जाता है।
  • स्टोन पार्क: जोधपुर में एक प्रसिद्ध स्थल है जो अपनी विशेष पत्थरों और प्राकृतिक सौंदर्य के लिए जाना जाता है

स्थापना:
जोधपुर जिले की स्थापना 12 मई, 1459 ई. में राव जोधा द्वारा की गई थी। यह राजस्थान का दूसरा सबसे बड़ा नगर है।

प्रमुख विशेषताएँ:

  • जोधपुर की जनसंख्या 26 लाख से अधिक है, जिससे यह राजस्थान का दूसरा सबसे बड़ा नगर बना।
  • यह थार रेगिस्तान के मध्य स्थित है और अपने किलों, दुर्गों तथा पर्यटन स्थलों के लिए प्रसिद्ध है।
  • यह प्राचीन रजवाड़े मारवाड़ की राजधानी हुआ करता था।

जोधपुर के उपनाम:

  1. नीला शहर (Blue City)
  2. सूर्य नगरी (Sun City)
  3. जोधना नगरी
  4. सांस्कृतिक विरासत का शहर

जोधपुर के प्राचीन नाम:

  1. मरुभूमि
  2. मारवाड़
  3. मरुकांतर

जोधपुर की कला और संस्कृति:

लोक नृत्य:

  • घूमर: मारवाड़ का प्रसिद्ध नृत्य।
  • घुड़ला नृत्य: छिद्रित मटकियों में जलते हुए दीपक रखकर महिलाएँ यह नृत्य करती हैं। यह शीतलाष्टमी से गणगौर तक चलता है।

प्रमुख मेले:

  1. वीरपुरी का मेला (मण्डोर, जोधपुर): श्रावण माह के अंतिम सोमवार को लगता है।
  2. रावण मेला (मण्डोर): रावण की पूजा के लिए प्रसिद्ध।
  3. बेतमार गणगौर मेला:
    • जोधपुर का प्रसिद्ध मेला।
    • इसे धींगा गवर भी कहा जाता है।
    • यह वैशाख कृष्ण तृतीया को लगता है।
    • इसमें विधवा और विवाहित महिलाएँ भाग लेती हैं।

प्रमुख मंदिर:

  1. रणछोड़राय मंदिर: जोधपुर का ऐतिहासिक मंदिर।
  2. चामुण्डा माता मंदिर (मेहरानगढ़ दुर्ग में स्थित):
    • निर्माण: राव जोधा द्वारा।
    • चामुण्डा देवी मारवाड़ के राठौड़ों की आराध्य देवी थीं।
    • 30 सितंबर 2008 को यहाँ एक हादसा हुआ था, जिसकी जाँच के लिए ‘जसराज चौपड़ा आयोग’ का गठन हुआ।

जोधपुर चित्रकला:

  • शुरुआत: मालदेव के शासनकाल में।
  • स्वर्णकाल: जसवंतसिंह प्रथम और मानसिंह के काल में।
  • विशेषताएँ:
    • पीले रंग की प्रधानता।
    • चित्रों में नायिका की आँखें बादाम के समान और नायक लंबे कद, चौड़े कंधे, लंबी मूँछों के साथ चित्रित किए जाते हैं।
    • प्रेम कहानियों, कुत्तों और झाड़ियों का चित्रण प्रमुख।
    • रागमाला का चित्रण वीर बिठ्ठलदास ने मानसिंह के समय किया।
  • प्रमुख चित्रकार: देवदास, गोविंददास, ईश्वरदास, माधोदास।

संगीत और शोध संस्थान:

  1. जमीला बानो: जोधपुर की प्रसिद्ध मांड गायिका।
  2. राजस्थान संगीत नाटक अकादमी:
    • स्थापना: 1957 ई.
    • राजस्थान की सांगीतिक धरोहर को संरक्षित करने के लिए जोधपुर में स्थापित।
  3. चौपासनी शोध संस्थान:
    • स्थापना: 1950।
    • अन्य नाम: राजस्थान शोध संस्थान।
    • यहाँ से परंपरा नामक पत्रिका प्रकाशित होती है।

जोधपुर के प्रमुख मकबरे और छतरियाँ

छतरियाँ:

  1. प्रधानमंत्री की छतरी:

    • जसवंत सिंह प्रथम के प्रधानमंत्री राजसिंह कुम्पावत की स्मृति में निर्मित।
    • इसे प्रधानमंत्री की देवल भी कहते हैं।
  2. जसवंत थड़ा:

    • जसवंत सिंह द्वितीय की छतरी।
    • निर्माण: 1906 में महाराजा सरदार सिंह द्वारा।
    • इसे राजस्थान का ताजमहल भी कहा जाता है।
  3. कागा की छतरी:

    • जोधपुर का एक प्रसिद्ध स्थल।
  4. सेनापति की छतरी:

    • जोधपुर में स्थित।
  5. जैसलमेर राणी की छतरी:

    • जोधपुर में स्थित एक ऐतिहासिक छतरी।
  6. पंचकुंड की छतरियाँ:

    • जोधपुर में स्थित ऐतिहासिक और सांस्कृतिक धरोहर।
  7. एक थंबा महल:

    • मंडोर में स्थित।
    • निर्माण: महाराजा अजीत सिंह द्वारा।
    • इसे प्रहरी मीनार भी कहते हैं।

महल और भवन:

  1. उम्मेद भवन पैलेस:

    • निर्माण: महाराजा उम्मेद सिंह द्वारा।
    • इसे अकाल राहत कार्यों के तहत बनवाया गया था।
    • अन्य नाम: छीतर पैलेस
    • यह घड़ियों का संग्रहालय भी है।
  2. अजीत भवन:

    • राज्य का पहला हेरिटेज होटल।

मकबरे और अन्य स्मारक:

  1. गुलाब खां का मकबरा:

    • जोधपुर का ऐतिहासिक मकबरा।
  2. गमता गाजी की मीनार:

    • जोधपुर का सांस्कृतिक स्थल।
  3. गुलर कालुदान का मकबरा:

    • जोधपुर की एक और महत्वपूर्ण संरचना।
  4. तमापीर की दरगाह:

    • जोधपुर में स्थित धार्मिक स्थल।

दर्शनीय स्थल:

मेहरानगढ़ दुर्ग

परिचय:

  • मेहरानगढ़ दुर्ग, जिसे मेहरान किले के नाम से भी जाना जाता है, राजस्थान के जोधपुर में स्थित एक विशाल और भव्य किला है।
  • यह चिड़ियाटूक पहाड़ी पर बना हुआ है।

निर्माण:

  • निर्माणकर्ता: राव जोधा।
  • स्थापना तिथि: 12 मई, 1459।
  • इस दुर्ग की नींव रखने के लिए राजाराम मेघवाल की बलि दी गई थी।

उपनाम:

  1. मयूरध्वजगढ़
  2. गढ़ चिंतामणि

ऐतिहासिक मान्यता और प्रशंसा:

  • रुडयार्ड किपलिंग ने कहा:
    “यह दुर्ग मानव द्वारा नहीं बल्कि देवताओं और परियों द्वारा निर्मित है।”
  • टाइम्स पत्रिका ने इसे “एशिया का सर्वश्रेष्ठ दुर्ग” करार दिया है।

महत्वपूर्ण तथ्य:

  • दुर्ग का निर्माण किले की सुरक्षा और जोधपुर राज्य के प्रतीक के रूप में किया गया।
  • इसकी स्थापत्य कला, विशाल प्राचीरें, और उत्कृष्ट नक्काशी इसे विशेष बनाती हैं।
  • दुर्ग के भीतर कई महल, मंदिर, संग्रहालय और इतिहास से जुड़ी धरोहरें स्थित हैं।
 

उम्मेद भवन पैलेस एवं संग्रहालय

स्थापना:

  • उम्मेद भवन पैलेस का निर्माण महाराजा उम्मेद सिंह ने 1943 ई. में करवाया।
  • इसे अकाल राहत कार्यों के तहत बनवाया गया था, जिससे स्थानीय लोगों को रोजगार मिल सके।

वर्तमान स्वामित्व:

  • वर्तमान में इसके मालिक गज सिंह हैं, जो जोधपुर के शाही परिवार से संबंधित हैं।

विशेषताएँ:

  1. आर्किटेक्चर:

    • इसे ब्रिटिश आर्किटेक्ट हेनरी वॉन लैंचेस्टर ने डिज़ाइन किया।
    • इसका निर्माण एडवर्डियन शैली में किया गया है, जिसमें राजस्थानी और पश्चिमी वास्तुकला का मिश्रण है।
  2. संग्रहालय:

    • पैलेस के एक भाग में संग्रहालय है, जहाँ जोधपुर के शाही इतिहास से जुड़ी वस्तुएँ, पुरानी घड़ियाँ, फर्नीचर और चित्र प्रदर्शित किए गए हैं।
  3. होटल:

    • उम्मेद भवन का एक हिस्सा आज एक लक्ज़री होटल के रूप में कार्य करता है, जिसे ताज ग्रुप द्वारा प्रबंधित किया जाता है।
    • यह पैलेस दुनिया के बेहतरीन हेरिटेज होटलों में से एक माना जाता है।

प्रसिद्ध घटनाएँ:

  • इस पैलेस में प्रियंका चोपड़ा और निक जोनस की शादी (दिसंबर 2018) का आयोजन हुआ था, जिससे यह और भी चर्चित हो गया।

अन्य नाम:

  • इसे छीतर पैलेस भी कहा जाता है।
  • यह जोधपुर के सबसे प्रसिद्ध पर्यटन स्थलों में से एक है।

राव जोधा का फलासा

परिचय:

  • “फलासा” शब्द बेल के पेड़ (Aegle marmelos) को संदर्भित करता है।
  • यह घटना मेहरानगढ़ दुर्ग के निर्माण के समय से जुड़ी है।

संत की सलाह:

  • मेहरानगढ़ दुर्ग के निर्माण के दौरान, राव जोधा को एक संत ने बेल का फल (फलासा) प्रतिदिन ग्रहण करने की सलाह दी थी।
  • ऐसा माना जाता है कि संत की इस सलाह का उद्देश्य उनकी सेहत और मानसिक बल को सुदृढ़ करना था, जिससे वह दुर्ग निर्माण के विशाल कार्य को सफलतापूर्वक पूरा कर सकें।

निर्माणकर्ता:

  • राव जोधा ने फलासा के महत्व को समझते हुए इसे अपने जीवन का हिस्सा बनाया।

चामुंडा माता जी का मंदिर

स्थापना:

  • 1460 ई. में राव जोधा ने चामुंडा माता की मूर्ति को मेहरानगढ़ किले में लाकर स्थापित किया।
  • चामुंडा माता राव जोधा की प्रिय देवी थीं।

मंदिर का महत्व:

  • यह मंदिर मेहरानगढ़ किले के भीतर स्थित है।
  • चामुंडा माता राठौड़ों की आराध्य देवी हैं।
  • यह मंदिर भगवान शिव और शक्ति के प्रति समर्पित है, जो शक्ति और संहार का प्रतीक है।

धार्मिक मान्यता:

  • इस मंदिर को पूरे मारवाड़ क्षेत्र में अत्यधिक श्रद्धा के साथ पूजा जाता है।
  • नवरात्रि और अन्य महत्वपूर्ण त्योहारों पर यहाँ बड़ी संख्या में श्रद्धालु आते हैं।

 

जोधपुर क इतिहास 

राव सीहा (1243-1273 ई.)

  • मारवाड़ के राठौड़ वंश के संस्थापक।
  • मृत्यु: 1273 ई.
  • स्मृति स्थल: बीठू गांव (पाली) में उनकी छतरी।
    • निर्माण: उनके उत्तराधिकारी धुहड़जी ने करवाया।
  • कुलदेवी: नागणेची माता।

राव चुड़ा (1384-1428 ई.)

  • सर्वप्रथम मंडोर को अपनी राजधानी बनाया।
    • मंडोर का प्राचीन नाम: माण्डव्यपुर।
    • मंडोर की स्थापना 6वीं सदी में प्रतिहार शासक हरिशचंद्र ने की।
    • प्रतिहार शासक नागभट्ट-I ने इसे अपनी राजधानी बनाया।
  • विशेष:
    • उत्तर भारत का एकमात्र रावण मंदिर मंडोर में स्थित है।
    • अपनी पुत्री हंसाबाई का विवाह मेवाड़ के राणा लाखा से किया।
    • मारवाड़ में सर्वप्रथम सामंत प्रथा की शुरुआत की।

राव रणमल (1427-1438 ई.)

  • अपनी बहन हंसाबाई का विवाह राणा लाखा से किया।
  • मेवाड़ के सरदार राघवदेव की हत्या की।
  • मृत्यु: 1438 ई. में चितौड़ में।

राव जोधा (1438-1489 ई.)

  • राव रणमल का पुत्र।
  • मारवाड़ के राठौड़ वंश का वास्तविक संस्थापक
  • लोकदेवता हड़बूजी ने संकट के समय उनका साथ दिया।
  • 1453 ई.: राव जोधा और राणा कुंभा के बीच आवल बावल की संधि
  • राजतिलक: बगड़ी के ठाकुर अखैराज के हाथों हुआ।
  • निर्माण कार्य:
    • मेहरानगढ़ दुर्ग में राठौड़ वंश की आराध्य देवी चामुंडा माता मंदिर
    • पदमसर तालाब: मेवाड़ के सेठ पदमचंद द्वारा।
    • राणीसर तालाब: राव जोधा की रानी जसमा दे द्वारा।
  • पुत्री श्रृंगार देवी का विवाह राणा कुंभा के पुत्र रायमल से किया।

राव सातल (1489-1492 ई.)

  • राव जोधा का पुत्र।
  • घुड़ला खां की घटना:
    • अजमेर के हाकिम मलुखां के सेनापति घुड़ला खां ने 141 कन्याओं का अपहरण किया।
    • राव सातल ने घुड़ला खां की हत्या कर कन्याओं को मुक्त करवाया।
    • स्मृति: मारवाड़ में शीतला अष्टमी से गणगौर तक घुड़ला का त्योहार मनाया जाता है।

राव सूजा (1492-1515 ई.)

  • राव जोधा का पुत्र।

राव गांगा (1515-1531 ई.)

  • खानवा का युद्ध (17 मार्च 1527 ई.)
    • मारवाड़ से भेजी गई सेना का नेतृत्व उनके पुत्र मालदेव ने किया।
  • सेवकी गांव का युद्ध (1529-1530 ई.)
    • यह युद्ध नागौर में राव गांगा और दौलत खां के बीच हुआ।
    • युद्ध में राव गांगा विजयी हुए।
  • मृत्यु: मालदेव ने राव गांगा की हत्या कर दी।

राव मालदेव (1531-1562 ई.)

  • पिता: राव गांगा
  • उपाधि:
    • “मारवाड़ का प्रथम पितृहंता”।
    • चारण कवियों ने “हिंदु बादशाह” कहा।
    • मुस्लिम इतिहासकारों ने “हशमत वाला बादशाह” कहा।
    • बंदायुनी ने “उत्तर भारत का महान पुरुषार्थी राजकुमार” कहा।
    • फरिश्ता ने “हिंदुस्तान का सबसे शक्तिशाली राजा” बताया।
  • राज्यभिषेक: सोजत (पाली) में हुआ।

महत्वपूर्ण घटनाएं और युद्ध

  1. भाद्राजुण का युद्ध:

    • मालदेव ने सर्वप्रथम भाद्राजुण के सिंघल बीरा को पराजित किया।
  2. पहौबा का युद्ध (1541-1542 ई.):

    • स्थान: नागौर।
    • पक्ष: राव मालदेव बनाम राव जैतसी।
  3. गिरी-सुमेल का युद्ध (5 जनवरी 1544):

    • स्थान: जैतारण (ब्यावर)।
    • पक्ष:
      • मालदेव के सेनापति जैता और कुंपा बनाम शेरशाह सूरी
    • परिणाम: शेरशाह सूरी की विजय।
    • विशेष टिप्पणी: शेरशाह सूरी ने कहा, “मैं मुट्ठी भर बाजरे के कारण हिंदुस्तान का साम्राज्य खो बैठा।”
  4. दरियाजोशी हाथी का विवाद:

    • मालदेव और मेड़ता के वीरमदेव राठौड़ के मध्य।
  5. हरमाड़ा का युद्ध (1527 ई.):

    • पक्ष: हाजी खां बनाम उदयसिंह।

व्यक्तिगत जीवन और संबंध

  • उमादे:

    • जैसलमेर के भाटी राजा लुणकरण की पुत्री और मालदेव की पत्नी।
    • विशेष घटना: उमादे नाराज होकर तारागढ़ (अजमेर) चली गईं।
    • उपाधि: “रूठी रानी”।
  • हुमायूं से बातचीत:

    • हुमायूं ने अतका खां, रायमल सोनी, और मीर समद को मालदेव से बातचीत के लिए भेजा।

निर्माण कार्य

  1. सातलमेर दुर्ग को तुड़वाकर पोकरण दुर्ग का निर्माण।
  2. जोधपुर दुर्ग के चारों तरफ परकोटे का निर्माण।
  3. शेरशाह सूरी ने जोधपुर में सूरी मस्जिद का निर्माण करवाया।

साहित्य और संस्कृति

  • दरबारी कवि:

    • आशाजी बारहठ
    • ईश्वरदास
  • ग्रंथ:

    • मुंशी देवी प्रसाद ने “मालदेव चरित्र” की रचना की।

विशेष उपलब्धियां

  1. 52 युद्धों का विजेता
  2. साम्राज्य में 58 परगने
  3. शक्ति और प्रभाव:
    • बंदायुनी और फरिश्ता जैसे इतिहासकारों ने उनकी वीरता की प्रशंसा की।
  4. बंसतराय हाथी:
    • यह हाथी राणा उदयसिंह ने भेंट किया था।

मालदेव ने जोधपुर दुर्ग के चारों तरफ परकोटे का निर्माण करवाया।

आशाजी बारहठ एवं ईश्वरदास इनके दरबार में कवि थे।

राव चंद्रसेन (1562-1581 ई.)

  • जन्म: 1541 ई.
  • पिता: राव मालदेव
  • उपाधि:
    • “मारवाड़ का महाराणा प्रताप”
    • “महाराणा प्रताप का अग्रगामी”
    • “भुला बिसरा राजा”
    • “द फॉरगेटन हिरो ऑफ मारवाड़”
    • “प्रताप का पथ प्रदर्शक”
    • “विस्मृत वाला राजा”
    • “भुला भटका नायक”

महत्वपूर्ण घटनाएं और संघर्ष

  1. मुगलों के खिलाफ संघर्ष:

    • राव चंद्रसेन को राजपुताने का प्रथम शासक माना जाता है जिसने मुगलों के साथ जीवन भर संघर्ष किया।
  2. नागौर दरबार (1570 ई.):

    • अकबर ने शुक्र तालाब का निर्माण करवाया।
    • इस दरबार में बीकानेर के कल्याणमल, जैसलमेर के हरराय, और जोधपुर के मोटा राजा उदयसिंह ने मुगलों की अधीनता स्वीकार की।
    • राव चंद्रसेन ने दरबार छोड़कर भाद्राजुण (जालौर) और फिर सिवाणा का रुख किया।
    • सिवाणा को राव चंद्रसेन और मारवाड़ के राजाओं की संकट कालीन राजधानी माना जाता है।
  3. मृत्यु:

    • राव चंद्रसेन की मृत्यु दुंदाड़ा नामक स्थान पर हुई, जहाँ वेरीसाल के घर में खाने में जहर डाल दिया गया था।
  4. राव चंद्रसेन की छतरी:

    • सारण की पहाड़ी (पाली) में राव चंद्रसेन की छतरी बनी हुई है।

मोटा राजा उदयसिंह (1583-1595 ई.)

  • मारवाड़ का प्रथम शासक जिसने अकबर की अधीनता स्वीकार की और वैवाहिक संबंध स्थापित किए
  • रानी जोधाबाई (जगत गुसाई) का विवाह जहांगीर से किया।
    • संतान: शाहजहाँ।
  • उनके समय में मुगल चित्रकला का मारवाड़ चित्रकला पर प्रभाव पड़ा।
  • मृत्यु: लाहौर में।

सवाई राजा शूरसिंह (1595-1619 ई.)

  • राज्याभिषेक: लाहौर में हुआ।
  • अकबर ने इन्हें सवाई राजा की उपाधि दी।

राव गजसिंह (1619-1638 ई.)

  • जहाँगीर ने इन्हें दलथम्बन की उपाधि दी।
  • अन्नारा बैगम इनकी रखैल थीं।
  • मृत्यु: आगरा में।

अमर सिंह राठौड़

  • उपाधि: “कटार का धणी”
  • घोड़ा: बादल
  • विशेष घटना: इनकी 16 खंभों युक्त छतरी नागौर में स्थित है।
  • इन्होंने शाहजहाँ के आगरा दरबार में सलावत खां की हत्या कर दी।

मतीरे की राड (1644 ई.)

  • स्थल: नागौर और बीकानेर
  • युद्ध: अमर सिंह राठौड़ और बीकानेर के राजा कर्णसिंह के मध्य हुआ।
  • परिणाम: कर्णसिंह की विजय।
  • इस युद्ध को जाखणियां गांव का युद्ध भी कहा जाता है।
  • शुभंकर: कुरंजा
  • उपनाम:
    • सूर्य नगरी
    • नीला शहर
    • राजस्थान की सांस्कृतिक राजधानी
    • हैण्डीक्राफ्ट सिटी
    • राजस्थान मरुस्थल का प्रवेश द्वार

प्रमुख जल स्रोत

  1. सुरसागर तालाब:
    • निर्माता: सुरसिंह
  2. गुलाब सागर:
    • निर्माता: गुलाब राय
  3. बालसमंद झील:
    • निर्माता: बालकराव प्रतिहार
  4. कायलाना झील:
    • निर्माता: सर प्रताप

जोधपुर को इसके सांस्कृतिक और ऐतिहासिक महत्व के लिए जाना जाता है। इसका वास्तुशिल्प और कला शिल्प राज्यभर में प्रसिद्ध है।

जसवंत सिंह प्रथम (1638-1678 ई.)

  • शाहजहाँ ने इनको महाराजा का खिताब दिया और 6000 मनसब प्रदान किया।
  • धरमत का युद्ध (1658 ई.):
    • युद्ध उज्जैन (म.प्र.) में हुआ।
    • यह युद्ध दाराशिकोह और औरंगजेब के बीच लड़ा गया।
    • जसवंत सिंह ने दाराशिकोह का तथा मुराद ने औरंगजेब का साथ दिया, लेकिन युद्ध में औरंगजेब की विजय हुई।
    • जसवंत सिंह ने युद्ध बीच में छोड़कर घर लौट आए, और उनकी पत्नी रानी जसवंत दे ने दुर्ग के द्वार खोलने से मना कर दिया।
  • कृषि सुधार: जसवंत सिंह ने मारवाड़ में अनार के बाग लगाने की शुरुआत की।
  • ग्रंथ रचना: इन्होंने भाषा-भूषण नामक ग्रंथ की रचना की।
  • मृत्यु: 1678 ई. में जमरुद्ध (अफगानिस्तान) में हुई।
  • औरंगजेब की टिप्पणी: जसवंत सिंह की मृत्यु पर औरंगजेब ने कहा, “आज क्रुफ का दरवाजा टूट गया है”, क्योंकि जसवंत सिंह को औरंगजेब अपनी धर्मान्ध नीतियों में बाधा मानते थे।

महाराजा अजीत सिंह (1679-1724 ई.)

  • जन्म: 1679 ई. में लाहौर में।
  • कैद: औरंगजेब ने अजीत सिंह को दिल्ली में कैद कर लिया था और उन्हें रूपसिंह की हवेली में रखा।
  • पालन-पोषण: उन्हें कलिंदरी (सिरोही) में जयदेव पुष्करणा के घर पालन-पोषण मिला।
  • देबारी समझौता: 1707 ई. में अजीत सिंह को जोथपुर का राजा घोषित किया गया।
  • मुलायम संबंध: अजीत सिंह ने अपनी पुत्री इंद्र कुंवरी का विवाह दिल्ली के बादशाह फरूर्खसियर से किया, यह राजपूत-मुगल विवाह का अंतिम उदाहरण था।
  • हत्यारोपी: उनके पुत्र बख्तसिंह ने 23 जून, 1724 ई. को अजीत सिंह की हत्या की।
  • धाय मां: गौराधाय, जिन्हें मारवाड़ की पन्नाधाय के रूप में जाना जाता है, और धुसो नामक गीत का संबंध गौराधाय से है, जिसे मारवाड़ का राष्ट्रगीत माना जाता है।
  • ग्रंथ रचनाएं: अजीत सिंह ने गुणसागर, निर्वाण दुहा, और अजीत चरित्र नामक ग्रंथों की रचना की।

महाराजा अभयसिंह (1724-1749 ई.)

  • खेजडली हत्याकांड (1730 ई.):
    • खेजडली (जोधपुर) में अमृता देवी विश्नोई के नेतृत्व में 363 स्त्री-पुरुषों की हत्या कर दी गई। यह घटना विश्नोई समुदाय के लिए महत्वपूर्ण मानी जाती है।

महाराजा विजयसिंह (1752-1793 ई.)

  • विजयशाही सिक्के: इनके शासनकाल में विजयशाही सिक्के चलाए गए।
  • गुलाब राय: गुलाब राय इनकी पासवान थीं, जिन्हें मारवाड़ की नूरजहाँ कहा जाता है।
  • तुंगा का युद्ध (1787): इन्होंने सवाई प्रताप सिंह का साथ दिया था।

महाराजा भीवसिंह/भीमसिंह (1793-1803 ई.)

  • भीव शाही सिक्के: इनके समय में भीव शाही सिक्के चलाए गए।
  • कृष्णा कुमारी: इनकी सगाई कृष्णा कुमारी से हुई थी।

महाराजा मानसिंह (1803-1843 ई.)

  • कृष्णा कुमारी विवाद: इनके समय में कृष्णा कुमारी विवाद हुआ, जिसके कारण गिंगोली का युद्ध (1807 ई.) हुआ था।
    • यह युद्ध मानसिंह और जगत सिंह द्वितीय के बीच हुआ।
    • अमीर खां पिंडारी के कहने पर कृष्णा कुमारी को जहर दिया गया था।
  • सहायक संधि: इन्होंने 1818 ई. में अंग्रेजों से सहायक संधि की।
  • काव्य गुरु: उनके काव्य गुरु थे बाकीदास, जिन्हें मारवाड़ का बीरबल कहा जाता है।
  • पुस्तक शोध केन्द्र: 1812 ई. में इन्होंने मानसिंह पुस्तक शोध केन्द्र की स्थापना की।

महाराजा तख्त सिंह (1843-1873 ई.)

  • 1857 की क्रांति: इन्होंने 1857 की क्रांति के दौरान अंग्रेजों का साथ दिया।
  • बिथौड़ा का युद्ध (8 सितंबर, 1857): इस युद्ध में भी उन्होंने अंग्रेजों का साथ दिया।
  • सामाजिक सुधार: उनके समय में सती प्रथा और समाधि प्रथा पर रोक लगाई गई।

महाराजा जसवंत सिंह द्वितीय (1873-1895 ई.)

  • नन्ही जान: जसवंत सिंह की रखैल, नन्ही जान (वैश्या), के द्वारा स्वामी दयानंद सरस्वती को जहर दिया गया, जिसके परिणामस्वरूप 30 अक्टूबर, 1883 को दीपावली के दिन स्वामी जी की मृत्यु हुई।

महाराजा सरदार सिंह (1895-1911 ई.)

  • निर्माण कार्य: सरदार सिंह ने जसवंत थड़ा (1899-1906) और सरदार क्लॉक टावर (घण्टाघर) का निर्माण करवाया।
  • अकाल: उनके समय में 1899 ई. में छप्पनियां अकाल पड़ा।

महाराजा सुमेर सिंह (1911-1918 ई.)

  • विश्व युद्ध: इन्होंने प्रथम विश्व युद्ध के दौरान अंग्रेजों का साथ दिया।

महाराजा उम्मेद सिंह (1918-1947 ई.)

  • उम्मेद भवन पैलेस: इन्हें मारवाड़ का शाहजहाँ कहा जाता है, और इन्होंने उम्मेद भवन पैलेस का निर्माण कराया, जो अकाल राहत कार्य का हिस्सा था।
  • जवाई बांध: 1946 में जवाई बांध का निर्माण करवाया, जिसे मारवाड़ का अमृत सरोवर कहा जाता है।

हनुमंत सिंह (1947-1952 ई.)

  • अंतिम राजा: हनुमंत सिंह जोथपुर रियासत के अंतिम राजा थे।
  • विमान दुर्घटना: इनकी 1952 में सुमेरपुर में एक विमान दुर्घटना में मृत्यु हो गई।

संगठनों और आंदोलनों की स्थापना

  1. जोधपुर प्रजामण्डल (1934):

    • संस्थापक: जयनारायण व्यास
    • अध्यक्ष: भंवर लाल सर्राफ
  2. मारवाड़ हितकारिणी सभा (1918) (पुनर्गठन 1923 में):

    • संस्थापक: जयनारायण व्यास
  3. मारवाड़ सेवा संघ (1920-21):

    • संस्थापक: जयनारायण व्यास, चांदमल सुराणा
  4. मारवाड़ का तौल आंदोलन (1920-21):

    • नेता: चांदमल सुराणा (राजस्थान के लोकनायक, “राजस्थान का शेर

 जयनारायण व्यास

    • सांमत शाही के खिलाफ आवाज: राजस्थान के प्रथम व्यक्ति जिन्होंने सांमत शाही के खिलाफ आवाज उठाई।
    • उपनाम: लकीर का फकीर, धुन का धणी, लक्कड़ का फक्कड़
    • पत्रकारिता: उन्होंने राजस्थानी भाषा में ‘आगीबाण’, हिंदी में ‘अखंड भारत’, और अंग्रेजी में ‘पीप’ नामक समाचार पत्रों का प्रकाशन किया

जोधपुर का भौगोलिक परिदृश्य और प्रमुख स्थल

  1. शुभकंर-कुरंजा

    • जोधपुर को कई उपनामों से जाना जाता है:
      • सूर्य नगरी
      • नीला शहर
      • राजस्थान की सांस्कृतिक राजधानी
      • हैण्डीक्राफ्ट सिटी
      • राजस्थान मरुस्थल का प्रवेश द्वार
  2. प्रमुख जलाशय और झीलें

    • सुरसागर तालाब: जोधपुर, निर्माता – सुरसिंह
    • गुलाब सागर: जोधपुर, निर्माता – गुलाब राय
    • बालसंमद झील: जोधपुर, निर्माता – बालकराव प्रतिहार
    • कायलाना झील: जोधपुर, निर्माता – सर प्रताप
  3. अनुसंधान संस्थान और महत्वपूर्ण केंद्र

    • केन्द्रीय ऊन विकास बोर्ड: जोधपुर
    • जीरा मण्डी: जोधपुर
    • बाजरा अनुसंधान केन्द्र, मण्डोर: जोधपुर
    • काजरी (CAZRI): केन्द्रीय शुष्क अनुसंधान केन्द्र, जोधपुर (स्थापना – 1959)। उद्देश्य – मिट्टी का विश्लेषण, वन, पशु, फसल से संबंधित अनुसंधान।
    • आफरी (AFRI): शुष्क वन अनुसंधान केन्द्र, जोधपुर (स्थापना – 1985)। उद्देश्य – वनों का अनुसंधान।
  4. प्राकृतिक अभयारण्यों और पार्क

    • डोली घवा अभयारण्य: जोधपुर, काले हिरणों के लिए प्रसिद्ध।
    • जोधपुर जंतु उद्यान: गोडावण के कृत्रिम प्रजनन के लिए प्रसिद्ध।
  5. शैक्षिक संस्थान

    • राष्ट्रीय आयुर्वेद विश्वविद्यालय: जोधपुर (देश का दूसरा आयुर्वेद विश्वविद्यालय)।
    • सरदार पटेल पुलिस विश्वविद्यालय: जोधपुर
    • राजस्थान विधि विश्वविद्यालय: जोधपुर
    • जयनारायण व्यास विश्वविद्यालय: जोधपुर
  6. प्रसिद्ध हस्तशिल्प और उद्योग

    • जोधपुर के बादला: जोधपुर के प्रसिद्ध जिंक उत्पाद।
    • जोधपुर के लकड़ी के झूले: प्रसिद्ध हस्तशिल्प।
    • जोधपुरी कोट-पेंट: राष्ट्रीय पोशाक का दर्जा प्राप्त।
    • जोधपुर के प्रसिद्ध हस्तशिल्प:
      • जस्ते की मूर्तियाँ
      • बन्धेज की चुनरी
      • हाथीदांत की चूडियाँ
      • नौरंगी जूतियाँ
      • डूंगरशाही ओढनी
      • पोमचा
  7. बन्धेज मण्डी: जोधपुर की प्रसिद्ध मण्डी जहां बन्धेज वस्त्र मिलते हैं।

  8. बरी पड़ला: जोधपुर का प्रसिद्ध हस्तशिल्प।

जोधपुर न केवल अपने ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व के लिए प्रसिद्ध है, बल्कि यह हस्तशिल्प और शुष्क क्षेत्र में अनुसंधान के लिए भी एक प्रमुख केंद्र बन चुका है।

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