Alwar District History Culture & Geography || Alwar Jila Darshn

आज के आर्टिकल में हम राजस्थान के अलवर जिले  के बारे में विस्तार से जानेंगे। राजस्थान के अलवर से सम्बन्धी महत्वपूर्ण जानकारी जैसे-  अलवर का क्षेत्रफल, भौगोलिक स्थिति, विधानसभा क्षेत्र,  अलवर का मानचित्र,  जिले की सीमा,  Alwar Map,  Alwar History Culture & Geography का विस्तार से अध्ययन करेंगे।

Table of Contents

 

अलवर जिला राजस्थान राज्य के उत्तर-पूर्वी भाग में स्थित है। यह जिला ऐतिहासिक धरोहरों और सांस्कृतिक महत्व से भरपूर है। अलवर का किला, भानगढ़ किला, विजय मंदिर महल, और मूसी महारानी की छतरी जैसे प्रमुख ऐतिहासिक स्थल यहाँ स्थित हैं। जिले की प्रमुख नदी साबी है और यहाँ का प्रमुख उद्योग चमड़ा, ऑटोमोबाइल, और फूड प्रोसेसिंग है। अलवर के आसपास के क्षेत्र में किलों, मंदिरों और ऐतिहासिक स्थलों का संकलन है, जो इसे पर्यटन के लिहाज से आकर्षक बनाता है। जिले की कला और संस्कृति में राजपूत काल की छाप साफ दिखाई देती है।

Alwar District विधान सभा सीटे

कुल विधान सभा सीटे – 6

  • अलवर शहर
  • अलवर ग्रामीण
  • रामगढ
  • कठूमर
  • थानागाजी
  • राजगढ़ – लक्ष्मणगढ़ 

अलवर जिले का भौगोलिक-प्रशासनिक परिचय

1. उपनाम:

राजस्थान का स्कॉटलैंड

पूर्वी राजस्थान का कश्मीर

राजस्थान का सिंहद्वार

2. प्राचीन नाम:

अलहपुर

शाल्व प्रदेश

3. सariska (सरिस्का):

सरिस्का पैलेस।

बाघ परियोजना संचालित।

भृतहरि का मेला – वर्ष में दो बार लगता है।

सरिस्का ‘अभयारण्य’ – राजस्थान का सबसे छोटा अभयारण्य।

4. पाण्डुपोल:

पांडवों ने अज्ञातवास के समय यहां समय व्यतीत किया।

यहां हनुमान जी की शयन मुद्रा की विशाल मूर्ति है।

प्रसिद्ध हनुमान जी का मेला।

5. राजगढ़:

नारायणी माता मंदिर (नाइयों की कुल देवी)।

राजगढ़ दुर्ग।

6. सिलिसेढ़:

सिलिसेढ़ झील – विनय सिंह द्वारा निर्मित (1844)।

सिलिसेढ़ महल – राजस्थान का नंदनकानन, मोटे पानी की झील।

भृतहरि की तपोस्थली।

7. अलवर शहर:

प्याज मंडी के लिए प्रसिद्ध।

मूसी महारानी की छतरी (80 खंभों की)।

बख्तावर सिंह की छतरी।

बम नृत्य प्रसिद्ध।

Alwar District History Culture & Geography || AlwarJila Darshn 2024

अलवर जिले का कला और संस्कृति

1. बाला किला (अलवर का किला)

  • निर्माण: 1049 ई. में आमेर नरेश कोकिल देव के पुत्र अलगुराय ने करवाया, और पुनर्निर्माण 1550 ई. में हसन खाँ मेवाती ने किया।
  • विशेषताएँ: इस किले में सलीम महल स्थित है।
  • उपनाम: अलवर का किला, कुंवारा किला, बावन दुर्गों का लाडला।

2. भानगढ़ का किला

  • स्थान: सावन नदी के किनारे स्थित।
  • निर्माण: 1573 ई. में महाराजा भगवंत दास ने करवाया।
  • विशेषताएँ: इसे भूतों का किला भी कहा जाता है।

3. राजगढ़ दुर्ग

  • निर्माण: राव प्रताप सिंह द्वारा करवाया गया।
  • विशेषताएँ: यह किला ऐतिहासिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है और स्थानीय संस्कृति का प्रतीक है।

4. अजबगढ़ का किला

  • निर्माण: भानगढ़ किले के समीप माधोसिंह के पुत्र अजब सिंह द्वारा।
  • विशेषताएँ: यह किला राजपूत काल की वास्तुकला को प्रदर्शित करता है।

5. पहाड़ी किला केसरोली

  • निर्माण: यदुवंशी राजपूतों द्वारा 14वीं सदी में।
  • विशेषताएँ: यह किला अपने बुर्ज, प्राचीर और बरामदों के लिए प्रसिद्ध है।

6. मूसी महारानी की छतरी

  • निर्माण: महाराजा विनय सिंह ने 1815 ई. में इसे महाराजा बख्तावर सिंह की पत्नी मूसी महारानी की स्मृति में बनवाया।
  • विशेषताएँ: इसे 80 खंभों की छतरी कहा जाता है।

7. अलवर में अन्य ऐतिहासिक स्थल

  • नैडा की छतरियां, बख्तावर सिंह की छतरी, टहला की छतरियाँ, और सफदरगंज की मीनार
  • कुतुब खाना: यह 1837 ई. में महाराजा विजय सिंह के शासन काल में स्थापित पुस्तकशाला है।
  • होप सर्कस: यह भव्य कलाम कैलाश बुर्ज के मध्य स्थित है, जिसे लॉर्ड लिनलिथगों की पुत्री होप के नाम पर रखा गया।
  • फतेहगंज गुंबद: 1547 ई. में फतेहगंज खाँ की स्मृति में बनवाया गया पांच मंजिला गुंबद।
  • विजय मंदिर महल: यह मंदिर 1918 में महाराजा जयसिंह द्वारा बनवाया गया।
  • अलवर सिटी पैलेस: 1793 ई. में राजा बख्तावर सिंह द्वारा निर्मित, इसमें संगमरमर का कमल के आकार का मण्डप है।
  • पुरजन विहार: इसे महाराजा मंगल सिंह ने 1885 ई. में शिमला के नाम से स्थापित किया।

प्रमुख स्थल

  1. सरिस्का पैलेस

    • 19वीं सदी में महाराजा जयसिंह द्वारा शाही शिकार लॉज के रूप में निर्मित।
  2. ताल वृक्ष

    • अलवर के थानागाजी में स्थित।
    • यहाँ ऋषि मांडव्य की तपस्थली और गंगा माता का प्राचीन मंदिर स्थित है।
  3. गर्भाजी झरना

    • अलवर का प्रसिद्ध और पवित्र झरना।
  4. भर्तृहरि मंदिर

    • नाथ सम्प्रदाय के संत भर्तृहरि की तपस्थली।
    • गुरु: गोरखनाथ।
    • भाद्रपद शुक्ल सप्तमी-अष्टमी पर मेला।
    • कनफटे नाथ सम्प्रदाय का प्रमुख तीर्थ।
  5. नारायणी माता मंदिर

    • नाई समाज की कुल देवी का मंदिर।
    • करमेती बाई के नाम से प्रसिद्ध।
    • वैशाख शुक्ल एकादशी को मेला।
    • पुजारी: मीणा जाति।
  6. नीलकंठ महादेव मंदिर

    • विक्रम संवत 1010 में बड़गुर्जर राजा अजयपाल द्वारा निर्मित।
  7. नालदेश्वर तीर्थ स्थल

    • अलवर का प्राचीन शिव मंदिर।
  8. पाण्डुपोल हनुमान मंदिर

    • लेटे हुए हनुमान जी की प्रतिमा।
    • भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी-पंचमी को मेला।
  9. बिलारी माता का मंदिर

    • चैत्र शुक्ल सप्तमी-अष्टमी पर मेला।

कला और संस्कृति

  1. कागजी बर्तन (पॉटरी)

    • पतली परत के बर्तन बनाने की कला प्रसिद्ध।
  2. नृत्य

    • खारी नृत्य: अलवर का प्रमुख नृत्य।
    • बम नृत्य: अलवर और भरतपुर क्षेत्र में प्रचलित।
  3. अलवर चित्रकला शैली

    • महाराजा विनयसिंह का काल स्वर्ण युग।
    • मुगल और अंग्रेजी प्रभाव।
    • चित्रकार: मूलचंद, बलदेव, गुलामअली, सहदेव, नंदराम।
    • विशेषताएँ: हाथीदांत पर चित्रण, योगासन, वैश्याओं और गणिकाओं का चित्रण।

इतिहास

  1. अलवर की स्थापना

    • 1775 ई. में राव प्रतापसिंह ने की।
  2. सहायक संधि

    • अलवर के राजा बख्तावर सिंह ने ईस्ट इंडिया कंपनी के साथ की।
  3. 1857 की क्रांति

    • महाराजा विनयसिंह के शासनकाल में।
  4. 1933 दंगे और निर्वासन

    • तिजारा के दंगों के बाद महाराजा जयसिंह को पेरिस निर्वासित किया गया।
  5. मत्स्य संघ की स्थापना

    • 18 मार्च, 1948 को अलवर, भरतपुर, धौलपुर और करौली को मिलाकर।
  6. तेजसिंह

    • अलवर के अंतिम महाराजा।
    • महात्मा गांधी की हत्या का आरोप।
  7. अलवर किसान आंदोलन 1923-24 में बढ़ी हुई भू-लगान दरों व राजा द्वारा पाले गए सुअरों के द्वारा किसानों की फसल नष्ट करने के विरोध में आंदोलन शुरु हुआ। नेतृत्व- गोविन्दसिंह व माधोसिंह ने किया।

  8. अलवर प्रजामंडल

    स्थापना 1938 ई.

    संस्थापक – हरिनारायण शर्मा व कुंज बिहारी मोदी।

    9.भौगोलिक परिदृश्य

    पड़ोसी राज्य – अलवर का पड़ोसी राज्य हरियाणा है।

    चोटियाँ – भानगढ़ चोटी (649 मीटर), भैरूच (792 मीटर), बिलाली (775 मीटर), बालागढ़ (597 मीटर)

    नदियाँ – रूपारेल नदी

अलवर की झीलें

  1. सिलीसेढ़ झील

    • इसे राजस्थान का नंदन कानन कहा जाता है।
    • निर्माण: 1845 ई. में महाराजा विनयसिंह ने अपनी रानी शीला देवी की याद में करवाया।
    • विशेषता: झील के किनारे सीलीसेढ़ महल स्थित है।
  2. जयसागर झील

    • निर्माण: महाराजा जयसिंह द्वारा।
    • विशेषता: हरे कबूतरों और बाघों के लिए प्रसिद्ध।

वन्यजीव और बाघ अभयारण्य

  1. सरिस्का बाघ रिजर्व

    • स्थापना: 1955 में।
    • 1979 में बाघ परियोजना में शामिल किया गया।
    • क्षेत्रफल: 866 वर्ग किमी।
    • इसे बाघों की मांद भी कहा जाता है।
  2. आखेट निषिद्ध क्षेत्र

    • बड़ौदा को अलवर में आखेट निषिद्ध क्षेत्र घोषित किया गया।

पशु संपदा

  1. मुर्राह भैंस

    • यह भैंस की एक प्रसिद्ध नस्ल है।
  2. जखराना बकरी

    • यह नस्ल अलवर के लिए विशेष प्रसिद्ध है।
  3. राजकीय सुअर पालन केंद्र

    • अलवर में स्थित है।
  4. भेड़ें

    • बागड़ी नस्ल की भेड़ों की सर्वाधिक संख्या अलवर में है।

कृषि और फसलें

  1. प्रमुख फसलें

    • सरसों, गेहूँ, मूंगफली, ज्वार, चना।
  2. प्याज मंडी

    • अलवर में राज्य की प्रथम प्याज मंडी स्थित है।
  3. तंबाकू उत्पादन

    • तंबाकू का सर्वाधिक क्षेत्रफल।

अलवर के प्रमुख व्यक्तित्व

  1. राजेन्द्र सिंह

    • वॉटर मैन और जौहड़ वाले बाबा के नाम से प्रसिद्ध।
    • जल संरक्षण के क्षेत्र में कार्य, जिसके लिए उन्हें रैमन मैग्सेसे पुरस्कार मिला।
    • तरुण भारत संघ नामक संगठन की स्थापना।
  2. पायल जांगीड़

    • बाल विवाह के खिलाफ जागरूकता फैलाने के लिए प्रसिद्ध।
    • चेंज मेकर अवार्ड जीतने वाली राजस्थान की पहली बालिका।
  3. ब्रिगेडियर सौरभ सिंह शेखावत

    • एवरेस्ट पर्वत फतेह करने वाले राजस्थान के पहले नागरिक।
  4. देवकीनंदन शर्मा

    • भित्ति और पशु-पक्षियों के चित्रण में निपुण।
    • मास्टर ऑफ नेचर एंड लिविंग ऑब्जेक्ट के नाम से प्रसिद्ध।
  5. डॉ. जयसिंह नीरज

    • के. के. बिड़ला फाउंडेशन द्वारा प्रथम बिहारी पुरस्कार से सम्मानित।
  6. जहूर खाँ मेवाती

    • प्रसिद्ध भपंग वादक
    • अलवर से संबंध।

संत और आध्यात्मिक व्यक्तित्व

  1. संत चरणदास जी

    • जन्म: 1703 ई., डेहरा गाँव (अलवर)।
    • गुरु: शुकदेव।
    • चरणदासी सम्प्रदाय के प्रवर्तक।
    • 42 नियमों को मान्यता।
    • भगवान कृष्ण की सखी-भाव से पूजा।
    • प्रमुख शिष्याएँ: दयाबाई और सहजोबाई।
  2. संत लालदास जी

    • जन्म: धौलीदुब गाँव (अलवर)।
    • गुरु: गछन चिश्ती।
    • लालदासी सम्प्रदाय के प्रवर्तक।
    • अकबर और दादूदयाल के समकालीन।
    • प्रधान पीठ: नगला जहाज (भरतपुर)।

अलवर के महत्वपूर्ण तथ्य

  1. मेवात क्षेत्र विकास कार्यक्रम

    • गठन: 1987-88 में।
    • उद्देश्य: मेवात क्षेत्र के सामाजिक-आर्थिक विकास को बढ़ावा देना।
  2. राज ऋषि भर्तृहरि मत्स्य विश्वविद्यालय

    • राजस्थान का प्रथम मत्स्य विश्वविद्यालय।
    • स्थान: अलवर।
  3. डडीकर

    • यहाँ 5000-7000 वर्ष पुराने शैलचित्र (रॉक पेंटिंग) पाए गए हैं।
    • यह स्थान प्राचीन मानव सभ्यता का प्रमाण है।
  4. चंदोली

    • भारत का पहला अल्पसंख्यक साइबर गाँव
    • स्थान: अलवर।
  5. अलवर का कलाकंद (मावा)

    • देशभर में प्रसिद्ध मिठाई।
    • इसका उत्पादन और स्वाद अलवर की पहचान है।
  6. माचिस उद्योग

    • अलवर में माचिस उद्योग का बड़ा योगदान है।
  7. स्वामी विवेकानंद का आगमन

    • स्वामी विवेकानंद 1891 और 1897 में दो बार अलवर आए।
    • उनके आगमन ने इस क्षेत्र में आध्यात्मिक और सामाजिक प्रेरणा का संचार किया।

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Alwar Jila Darshn 2024 के District FAQ

1. अलवर जिले की प्रमुख भाषाएं कौन सी हैं?

  • अलवर जिले में हिंदी और राजस्थानी प्रमुख भाषाएं हैं। यहां के लोग राजस्थानी की विभिन्न बोलियां जैसे मावा, मेवाती, और ढाणी बोलते हैं। हिंदी राज्य की प्रमुख भाषा के रूप में प्रयोग की जाती है।

2. अलवर जिले का प्रमुख उद्योग क्या है?

  • अलवर जिले का प्रमुख उद्योग चमड़ा, ऑटोमोबाइल, और खाद्य प्रसंस्करण उद्योग है। यहां कई बड़ी कंपनियां और उद्योग स्थापित हैं जो इन क्षेत्रों में काम करते हैं। इसके अतिरिक्त, पर्यटन भी एक महत्वपूर्ण उद्योग है।

3. अलवर जिले में किस प्रकार के ऐतिहासिक स्थल हैं?

  • अलवर जिले में कई ऐतिहासिक स्थल हैं, जैसे कि अलवर का किला, भानगढ़ किला, राजगढ़ दुर्ग, और विजय मंदिर महल। इन किलों और महलों में राजपूत काल की स्थापत्य कला और इतिहास की झलक मिलती है।

4. अलवर जिले में पर्यटन के लिए कौन से प्रमुख स्थल हैं?

  • अलवर जिले में पर्यटन के लिए प्रमुख स्थल जैसे भानगढ़ किला, अलवर का किला, मूसी महारानी की छतरी, और राजगढ़ दुर्ग प्रसिद्ध हैं। इसके अलावा, यहां के जंगलों और अभयारण्यों में वन्यजीवों का देखना भी एक प्रमुख आकर्षण है।

5. अलवर में प्राकृतिक संसाधन क्या हैं?

  • अलवर जिले में प्राकृतिक संसाधनों में प्रमुख रूप से वन, खनिज, और जलस्रोत शामिल हैं। यहां के अभयारण्यों और वन्यजीवों के संरक्षण के लिए कई प्रयास किए गए हैं। जिले में साबी नदी प्रमुख जलस्रोत है।

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