Balotra District History Culture & Geography || Balotra Jila Darshn

आज के आर्टिकल में हम राजस्थान के नवसृजित जिले बालोतरा के बारे में विस्तार से जानेंगे। राजस्थान के  बालोतरा जिले से सम्बन्धी महत्वपूर्ण जानकारी जैसे-  बालोतरा जिले का क्षेत्रफल, बालोतरा भौगोलिक स्थिति, विधानसभा क्षेत्र, बालोतरा जिले का मानचित्र,  जिले की सीमा,….. Balotra District Map ,… Balotra  District History Culture & Geography का विस्तार से अध्ययन करेंगे।

बालोतरा जिला बाङमेर से अलग होकर बना है । इस जिले के बनने की घोषणा 17 मार्च 2023 को मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने की । बालौतर जिले का उद्घाटन दिवस 15 अगस्त को हेमाराम चौधरी ने किया था । इस जिले मे 7 तहसीले तथा चार उपखण्ड आते है ।

Balotra District विधान सभा सीटे

बालोतरा जिले की तीन विधानसभा सीटें निम्नलिखित हैं-
  1. पचपदरा
  2. बायतु
  3. सीवाणा

बालोतरा जिले का भौगोलिक-प्रशासनिक परिचय

बालोतरा जिले का भौगोलिक-प्रशासनिक परिचय इस प्रकार है –

  • घोषणा: 17 मार्च 2023
  • मंत्रिमंडल मंजूरी: 04 अगस्त 2023
  • अधिसूचना जारी: 06 अगस्त 2023
  • अधिसूचना लागू: 07 अगस्त 2023
  • स्थापना दिवस: 07 अगस्त 2023
  • उद्घाटनकर्ता: हेमाराम चौधरी (वन एवं पर्यावरण मंत्री)
  • किस जिले से बनाया गया: बाड़मेर को विभाजित कर
  • प्रथम कलेक्टर: राजेन्द्र विजय
  • प्रथम पुलिस अधीक्षक: हरीशंकर
  • संभाग: जोधपुर संभाग के अंतर्गत
  • सीमा: बालोतरा जिला 6 जिलों से घिरा है – जोधपुर ग्रामीण, पाली, जालौर, सांचौर, बाड़मेर, जैसलमेर।
  • उपनाम:
  1. वस्त्र नगरी
  2. बाला की ढ़ाणी
  3. पोपलीन नग

बालोतरा अपने वस्त्र उद्योग के लिए प्रसिद्ध है, खासकर छपाई और रंगाई के क्षेत्र में, और इस कारण इसे ‘वस्त्र नगरी’ भी कहा जाता है।

Balotra District History Culture & Geography || Balotra Jila Darshn 2024

जिला के प्राकृतिक सुंदरता और पर्यटन स्थल

 

बालोतरा जिला के प्रमुख धरोहर और स्मारक 

बालोतरा जिले के प्रमुख धरोहर और स्मारक इस प्रकार हैं:

1. नागाणा राणीसती मंदिर

  • यह मंदिर बालोतरा में स्थित है और धार्मिक महत्व रखता है। यहाँ हर साल बड़ी संख्या में श्रद्धालु आते हैं।

            - Maa Nagnechiya Mata

  • यह मंदिर राणीसती माता को समर्पित है और स्थानीय लोगों के बीच आस्था का प्रमुख केंद्र है।

2. जसोल मंदिर

  • बालोतरा के पास स्थित जसोल गाँव में यह मंदिर प्रसिद्ध है। यह एक ऐतिहासिक मंदिर है और अपने स्थापत्य और धार्मिक महत्व के लिए प्रसिद्ध है।

श्री राणी भटियाणी मंदिर संस्थान, जसोल

  • जसोल का इतिहास बालोतरा क्षेत्र से जुड़ा हुआ है और यहाँ का जसोल माता मंदिर खास आकर्षण है।

3. कुंडला किला

  • बालोतरा के निकट स्थित यह किला ऐतिहासिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है।
  • यह किला प्राचीन वास्तुकला और युद्धों की कहानियों से जुड़ा है, और पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र है।

4. सेड़वा दुर्ग

  • यह किला भी बालोतरा के निकट स्थित है और ऐतिहासिक धरोहरों में गिना जाता है।
  • सेड़वा दुर्ग में पुराने जमाने के किले की वास्तुकला और रक्षक दीवारें देखने योग्य हैं।

5. धोलिया महादेव मंदिर

  • यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है और बालोतरा क्षेत्र में स्थित एक प्राचीन मंदिर है।
  • यहाँ पर स्थानीय लोग और पर्यटक धार्मिक अनुष्ठानों के लिए आते हैं।

6. राजीव गांधी राष्ट्रीय उद्यान

  • बालोतरा जिले के समीप स्थित यह उद्यान स्थानीय वन्य जीवन और वनस्पतियों के संरक्षण के लिए महत्वपूर्ण है।
  • यह पार्क पर्यटकों और प्रकृति प्रेमियों के लिए आदर्श स्थान है, जहाँ विभिन्न प्रकार के वन्य जीव और पक्षी देखे जा सकते हैं।

बालोतरा जिले के ये धरोहर और स्मारक न केवल ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व रखते हैं, बल्कि पर्यटकों के आकर्षण का प्रमुख केंद्र भी हैं।

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बालोतरा, राजस्थान का एक महत्वपूर्ण जिला है, जो राज्य के दक्षिण-पश्चिम भाग में स्थित है। यह लूनी नदी के बेसिन में स्थित होने के कारण भौगोलिक और सांस्कृतिक रूप से महत्वपूर्ण है।

स्थलाकृति

  • बालोतरा का उत्तरी भाग बालुका मुक्त प्रदेश और दक्षिणी भाग लूनी बेसिन में आता है।
  • छप्पन की पहाड़ियाँ इस जिले का विशेष आकर्षण हैं।
    • यह गढ़सिवाणा से मोकलसर तक फैली हैं।
    • इनकी आकृति गोलाकार और गुम्बदाकार है।
    • यह पहाड़ियाँ ग्रेनाइट और रायोलाइट खनिजों के लिए प्रसिद्ध हैं।
    • सबसे ऊँची चोटी समुद्रतल से 3727 फीट ऊँचाई पर स्थित है।

नदियाँ

लूनी नदी

  • लूनी इस क्षेत्र की प्रमुख नदी है।
  • यह पश्चिमी राजस्थान की सबसे लंबी नदी है (495 किमी)।
    • राजस्थान में इसकी लंबाई 330 किमी है।
  • उद्गम स्थल: नाग पहाड़, अजमेर (795 मीटर ऊँचाई)।
  • विशेषताएँ:
    • लूनी का पानी बालोतरा तक मीठा है और इसके आगे खारा हो जाता है।
    • यह नदी कच्छ के रण में लुप्त हो जाती है।
    • इसे कई उपनामों से जाना जाता है, जैसे “लवणवती”, “मारवाड़ की गंगा”।
    • राजस्थान और गुजरात के कुल 7 जिलों में प्रवाहित होती है।
  • लूनी पर बने बाँध:
    1. पिचियाक बाँध (जोधपुर ग्रामीण)।
    2. अन्य योजनाएँ।

सूकड़ी नदी

  • यह लूनी नदी की सहायक नदी है।
  • उद्गम स्थल: देसूरी, पाली।
  • तीन जिलों (पाली, जालौर और बालोतरा) में प्रवाहित होती है।
  • महत्वपूर्ण बाँध:
    • सरदारसमंद बाँध (पाली)।
    • बाँकली बाँध (जालौर)।

औद्योगिक और सांस्कृतिक महत्व

  • बालोतरा लूनी नदी के किनारे स्थित जिला मुख्यालय है।
  • यह जिला रंगाई-छपाई उद्योग के लिए प्रसिद्ध है।
  • लूनी नदी का सर्वाधिक प्रदूषण इसी क्षेत्र में होता है।
  • पचपदरा झील:
    • खारे पानी की झील।
    • निर्माण: पंचा भील द्वारा।
    • यहाँ पारंपरिक “कोसिया विधि” से नमक प्राप्त किया जाता है।
    • खारवाल जाति मोरली झाड़ी से नमक निर्माण का कार्य करती है।

बालोतरा का एतहासिक नक्शा

महत्वपूर्ण मंदिर

1. रूपा दे मंदिर

  • स्थान: पालिया गांव (बालोतरा)।
  • विशेषता: लोकदेवता मल्लीनाथ जी की पत्नी रूपा दे को समर्पित।
  • महत्त्व: बरसात की लोकदेवी के रूप में पूजा।
  • स्थिति: लूनी नदी के किनारे।

2. रणछोड़ राय मंदिर

  • स्थान: खेड़ (बालोतरा)।
  • विशेषता: रेबारी जाति के आस्था का केंद्र।
  • मेला: चैत्र पूर्णिमा पर विशेष आयोजन।

3. हिंगलाज माता मंदिर

  • स्थान: हिंगलाज गांव, सिवाणा।

4. गोण्णेश्वर महादेव मंदिर

  • स्थान: डंडाली गांव।

5. हल्देश्वर महादेव मंदिर

  • स्थान: पीपलूद।
  • विशेषता: इसे “राजस्थान का लघु माउंट आबू” कहा जाता है।
  • मेला: सावन के सोमवार को।

6. कोटेश्वर महादेव मंदिर

  • स्थान: गुड़ानाल, सिवाणा।

7. ब्रह्मा मंदिर

  • स्थान: आसोतरा।
  • निर्माण: खेतराम जी (1984)।
  • विशेषता: ब्रह्मा और सावित्री माता की युगल प्रतिमा।
  • प्रसिद्धि: भारत के तीन ब्रह्मा मंदिरों में से एक।

नाकोड़ा तीर्थ स्थल

  • प्राचीन नाम: मेवानगर।
  • मुख्य मंदिर: पार्श्वनाथ जैन मंदिर।
    • स्थापना: कीर्ति रतन सूरी।
  • विशेष:
    • भैरव बाबा मंदिर।
    • समावरण मंदिर।
    • आदिनाथ और शांतिनाथ मंदिर।
  • मेला: पौष कृष्ण दशमी।

प्रमुख मेले और उत्सव

1. मल्लीनाथ पशु मेला

  • स्थान: तिलवाड़ा (लूनी नदी के किनारे)।
  • विशेषता: राजस्थान का सबसे प्राचीन पशु मेला।
  • उद्भव: 1593 ई. में जोधपुर के मोटा राजा उदयसिंह के काल में।
  • पशु: राठी, थारपारकर, कांकरेज और मालाणी नस्ल की गायें।

2. बजरंग पशु मेला

  • स्थान: सिणधरी।

3. कनाना का मेला

  • विशेषता: गैर नृत्य और लोक संस्कृति का प्रदर्शन।

प्राकृतिक और औद्योगिक स्थल

1. पचपदरा झील

  • खारे पानी की झील।
  • विशेषता: पारंपरिक “कोसिया विधि” से नमक निर्माण।
  • उद्योग: नमक निर्माण।

2. पचपदरा रिफाइनरी

  • स्थापना: HPCL और राजस्थान सरकार के सहयोग से।
  • विशेषता:
    • भारत की पहली इको-फ्रेंडली रिफाइनरी।
    • बीएस-6 मानक तेल उत्पादन।

3. सिवाणा दुर्ग

  • निर्माण: वीर नारायण पंवार (954 ई.)।
  • विशेषता:
    • मरकरी लाल ग्रेनाइट का भंडार।
    • इतिहास में दो बड़े साके (1308 और 1582)।
    • शेर-ए-राजस्थान जयनारायण व्यास को यहाँ कैद किया गया।

हस्तशिल्प और संस्कृति

1. अजरक प्रिंट

  • विशेषता: लाल और नीले रंग की ज्यामितीय डिज़ाइन।
  • प्रयोग: सूर्य से बचाव के लिए।

2. मलीर प्रिंट

  • रंग: काला और कत्थई।
  • प्रसिद्ध कलाकार: मोहम्मद यासीन छीपा।

अन्य प्रमुख स्थल

  • संत पीपा का मंदिर (समदड़ी)।
  • शांभरामाता मंदिर (पचपदरा)।
  • भाण्डेलाव तालाब (सिवाणा दुर्ग के पास)।

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