Basnwara District History Culture & Geography || Basnwara Jila Darshn

नमस्कार दोस्तों आज हम इस पोस्ट के माध्यम से बांसवाडा जिले के दर्शनीय स्थल व उसकी महत्वपूर्ण जानकारी प्राप्त करेंगे, भौगोलिक स्थिति, विधानसभा क्षेत्र, बांसवाडा  जिले का मानचित्र, बांसवाडा जिले जिले की सीमा, District Map ,  District History Culture & बांसवाडा जिले के बारे में इसका इतिहास व् जिला दर्शन  Geography का विस्तार से अध्ययन करेंगे।

 

बांसवाड़ा, राजस्थान का दक्षिणी जिला, अपनी प्राकृतिक सुंदरता और सांस्कृतिक धरोहर के लिए प्रसिद्ध है। इसे “सागवान नगरी” भी कहा जाता है, क्योंकि यहाँ सागवान के वृक्ष प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं। माही नदी, जिसे “वागड़ की गंगा” कहा जाता है, जिले की जीवनरेखा है। बांसवाड़ा का नाम बाँस के घने जंगलों के कारण पड़ा। ऐतिहासिक रूप से, यह रियासत जगमाल द्वारा 16वीं शताब्दी में स्थापित की गई। माही बजाज सागर बांध और छप्पन का मैदान यहां के प्रमुख आकर्षण हैं। यहाँ की बोली “वांगड़ी” और त्योहार आदिवासी संस्कृति को जीवंत बनाए रखते हैं।

District विधान सभा सीटे

कुल विधान सभा सीटे – 5

1.बांसवाडा

2.कुशलगढ़ 

3.बागीदौर 

4.घाटोल 

5.गढ़ी

जिले का भौगोलिक-प्रशासनिक परिचय

बांसवाड़ा जिला:

  • राज्य में मैंगनीज उत्पादन में सर्वोच्च।

राजस्थान का दक्षिणतम जिला।

केले के उत्पादन में प्रसिद्ध।

 मुख्य स्थान:

तलवाड़ा: त्रिपुरा सुंदरी माता मंदिर और अन्य नाम जैसे तुर्तई माता, नित्यूर माता।

अर्थूना: परमारों की प्राचीन राजधानी।

आनंदपुरी भूंखिया: सोने के उत्पादन के लिए प्रसिद्ध।

घोटिया अंबा: जिले का सबसे बड़ा आदिवासी मेला और दूसरा कुंभ मेला जल तीर्थ स्थल।

छींच: छींच माता मंदिर के लिए प्रसिद्ध।

कालिंजर: भगवान ऋषभदेव का मंदिर, जो हरन नदी के किनारे स्थित है।

कुशलगढ़: कर्क रेखा के निकटतम शहर।

 अन्य जानकारी:

बांसवाड़ा को “सौ द्वीपों का शहर” कहा जाता है।

इसे “आदिवासियों का शहर” भी कहा जाता है।

इसमें माही बजाज सागर परियोजना और राजस्थान-गुजरात के बीच अंतर्राज्यीय परियोजनाएं शामिल हैं।


यदि आपको इनमें से किसी बिंदु पर विस्तार से जानकारी चाहिए, तो कृपया बताएं

District History Culture & Geography || ..... Jila Darshn 2024

कला एंव संस्कृति

घोटिया अंबा का मेला

  • यह बांसवाड़ा में प्रतिवर्ष चैत्र अमावस्या के दिन आयोजित होता है।
  • इसे आदिवासियों का दूसरा कुंभ कहा जाता है।
  • यहाँ स्थित केलापानी तीर्थस्थल का महाभारत से संबंध बताया जाता है, जहाँ पांडवों ने वनवास के दौरान समय बिताया था।

दिवासा (हरियाली अमावस्या)

  • श्रावण मास की अमावस्या को मनाया जाने वाला यह त्योहार आदिवासी समुदाय में अत्यंत महत्वपूर्ण है।
  • इस दिन जानवरों, विशेष रूप से बैलों को स्नान कराकर उनकी पूजा की जाती है।
  • इन्हें भगवान का दूसरा रूप मानने की परंपरा है।

 

नंदिनी माता का मंदिर

  • यह मंदिर बड़ोदिया में स्थित है।
  • हर वर्ष पौष पूर्णिमा पर यहाँ मेला आयोजित होता है।

त्रिपुर सुंदरी मंदिर

  • यह प्रसिद्ध मंदिर तलवाड़ा (बांसवाड़ा) में स्थित है।
  • देवी को 18 भुजाओं वाली तुरताई माता या त्रिपुर महालक्ष्मी के नाम से जाना जाता है।
  • यह पांचाल जाति की कुलदेवी हैं और पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे की आराध्य देवी मानी जाती हैं।

रामकुण्ड तीर्थस्थल

  • तलवाड़ा के पास स्थित यह प्राचीन तीर्थस्थल धार्मिक आस्था का केंद्र है।

आमली ग्यारस

  • यह त्योहार फाल्गुन शुक्ल पक्ष की ग्यारस को मनाया जाता है।
  • अविवाहित युवक और युवतियाँ इस दिन उपवास रखते हैं।

सिद्धि विनायक मंदिर

  • यह मंदिर शिल्प नगर तलवाड़ा में त्रिपुरा सुंदरी मार्ग पर स्थित है और लोगों की गहरी आस्था का केंद्र है।

बांसवाड़ा की धार्मिक और सांस्कृतिक विविधता इस क्षेत्र को राजस्थान के अद्वितीय स्थलों में से एक बनाती है।

अब्दुल्ला पीर मकबरा (बांसवाड़ा)

  • यह मकबरा मुस्लिम समुदाय के लिए आस्था का केंद्र है।
  • हर साल उर्स के मौके पर यहां श्रद्धालु एकत्रित होते हैं।

सवाई माता भण्डारिया

  • यह मंदिर भण्डारिया क्षेत्र में स्थित है।
  • यहाँ का प्रसिद्ध हनुमान मंदिर देवस्थान विभाग के अधीन है।
  • पहाड़ी पर स्थित सवाई माता का मंदिर भी आस्था का एक प्रमुख केंद्र है।

छींछ माता मंदिर

  • छींछ गांव में स्थित यह मंदिर तालाब के किनारे बना है।
  • यहां का 12वीं शताब्दी का ब्रह्मा मंदिर क्षेत्र की प्राचीन धार्मिक धरोहर है।

कालिंजरा के जैन मंदिर

  • यह मंदिर जैन धर्म के दिगंबर संप्रदाय से संबंधित हैं।
  • कालिंजरा क्षेत्र में ये मंदिर धार्मिक श्रद्धा और स्थापत्य कला के लिए प्रसिद्ध हैं।

ऐतिहासिक स्थल और घटनाएँ

मानगढ़ धाम

  • भील विद्रोह का प्रमुख स्थल है।
  • 17 नवंबर 1913 को हुए नरसंहार में 1500 भील स्त्री-पुरुष शहीद हुए। इसे “भारत का दूसरा जलियाँवाला बाग” कहा जाता है।
  • प्रतिवर्ष मार्गशीर्ष पूर्णिमा पर यहाँ मेले का आयोजन होता है।
  • गुरु गोविंद गिरी की स्मृति में यह स्थल जनजातीय स्वतंत्रता संग्राम का प्रतीक है।
  • पेनोरमा: यहाँ जनजातीय स्वतंत्रता संग्राम संग्रहालय स्थित है।

चंदुजी का गढ़ा

  • यह स्थान तीर-कमान निर्माण के लिए प्रसिद्ध है।

प्रमुख व्यक्तित्व

यशोदा देवी

  • राजस्थान की पहली महिला विधायक थीं।
  • बांसवाड़ा जिले से इनका संबंध रहा है।

हरिदेव जोशी

  • प्रसिद्ध भारतीय राजनीतिज्ञ और तीन बार राजस्थान के मुख्यमंत्री।
  • जन्म: 17 दिसंबर 1921 (खादू गांव, बांसवाड़ा)।
  • ये 10 बार विधायक चुने गए।

कृषि और उत्पाद

माही सुगंधा

  • मक्का की एक प्रसिद्ध किस्म है, जो कृषि के क्षेत्र में बांसवाड़ा की पहचान है।

राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन

  • 3 जून 2011 को इसकी शुरुआत की गई।

बी.पी.एल. आवास योजना

  • गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन करने वाले लोगों के लिए शुरू की गई योजना।

भौगोलिक विशेषताएँ

  • स्थान: यह राजस्थान का सबसे दक्षिणी जिला है।
  • कर्क रेखा: जिले के मध्य से कर्क रेखा गुजरती है।
  • पड़ोसी राज्य:
    • मध्य प्रदेश
    • गुजरात
  • पड़ोसी जिले:
    • उदयपुर
    • प्रतापगढ़
    • डूंगरपुर

मिट्टी और वनस्पति

  • मिट्टी:
    • लाल-काली मिश्रित मिट्टी
  • वनस्पति:
    • सागवान (टीक)
    • महुआ

नदियाँ

मुख्य नदियाँ

  1. माही नदी
    • उपनाम:
      • वागड़ की गंगा
      • आदिवासियों की गंगा
      • दक्षिण राजस्थान की गंगा
      • दक्षिण राजस्थान की स्वर्ण रेखा
      • कांठल की गंगा
    • यह कर्क रेखा को दो बार काटती है
    • कागदी पिकअप बांध इसी पर बना है।
    • माही बजाज सागर बांध:
      • स्थित: बोरखेड़ा (बांसवाड़ा)।
      • नामकरण: जमनालाल बजाज के नाम पर।
      • यह राजस्थान का सबसे लंबा बांध (3106 मीटर) है।
      • यह राजस्थान और गुजरात की संयुक्त परियोजना है (राजस्थान: 45%, गुजरात: 55%)।
  2. अनास नदी
  3. चाप नदी
    • प्रवाह: कालिंजरा (बांसवाड़ा)।
  4. ऐराव नदी
  5. चैनी नदी

प्रमुख भौगोलिक स्थल

  1. छप्पन का मैदान
    • यह मैदान बांसवाड़ा और प्रतापगढ़ के मध्य स्थित है।
  2. मेवल
    • बांसवाड़ा और डूंगरपुर के बीच का पहाड़ी भू-भाग।

खनिज और प्राकृतिक संपदा

  • सागवान वृक्ष:
    • बांसवाड़ा में राजस्थान में सबसे अधिक सागवान वृक्ष पाए जाते हैं।
  • खनिज संपदा:
    • मैंगनीज:
      • बांसवाड़ा राज्य में सबसे अधिक मैंगनीज उत्पादन करता है।
      • प्रमुख खदानें: लीलवाना, कालाखूँटा, तलवाड़ा, तमसेरा।
    • सोना:
      • आनंदपुरा भूकिया, जगतपुरा, घाटोल क्षेत्र में सोने के भंडार मिले हैं।

परिवहन और सड़कें

  • राष्ट्रीय राजमार्ग:
    • NH-927A बांसवाड़ा जिले से गुजरता है।

बोली

  • वांगडी: बांसवाड़ा जिले की प्रमुख बोली है।

इतिहास

बांसवाड़ा रियासत की स्थापना

  • बांसवाड़ा रियासत की स्थापना डूंगरपुर महारावल उदयसिंह के पुत्र जगमाल द्वारा की गई।
  • बांसवाड़ा की स्थापना 16वीं शताब्दी में हुई थी।
  • बांसवाड़ा के प्रतापसिंह ने मुगल सम्राट अकबर की अधीनता स्वीकार की।

ब्रिटिश काल

  • 1818 ई. में बांसवाड़ा के महारावल उम्मेदसिंह ने ब्रिटिश सरकार के साथ सहायक संधि पर हस्ताक्षर किए।
  • राजस्थान के एकीकरण के समय, महारावल चंद्रवीर सिंह ने एकीकरण पत्र पर हस्ताक्षर किए और कहा,
    “मैं अपनी मृत्यु पत्र पर हस्ताक्षर कर रहा हूँ।”

स्वतंत्रता संग्राम और प्रजामंडल आंदोलन

कुशलगढ़ प्रजामंडल

  • स्थापना: अप्रैल 1942 ई.
  • संस्थापक: भंवरलाल निगम

बांसवाड़ा प्रजामंडल

  • स्थापना: 1945 ई.
  • संस्थापक: भूपेन्द्रनाथ त्रिवेदी

नामकरण

  • बांसवाड़ा का नाम यहां बाँस के घने जंगलों की अधिकता के कारण पड़ा।

अन्य महत्वपूर्ण तथ्य

प्राकृतिक संपदा और कृषि

  • सागवान के वृक्ष:
    • बांसवाड़ा राजस्थान में सर्वाधिक सागवान वृक्षों के लिए प्रसिद्ध है।
  • मैंगनीज उत्पादन:
    • बांसवाड़ा राज्य में सर्वाधिक मैंगनीज उत्पादन करता है।
  • अनास परियोजना:
    • यह परियोजना अनास नदी पर आधारित है।

शोध संस्थान और विशिष्ट स्थल

  • मक्का शोध संस्थान:
    • यह बांसवाड़ा में स्थित है और मक्का की खेती में योगदान देता है।
  • चाचा कोटा टापू:
    • बांसवाड़ा का एक प्रसिद्ध प्राकृतिक स्थल।

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