आज के आर्टिकल में हम राजस्थान के नवसृजित जिले बूंदी के बारे में विस्तार से जानेंगे। राजस्थान के बूंदी जिले से सम्बन्धी महत्वपूर्ण जानकारी जैसे- जिले का क्षेत्रफल, भौगोलिक स्थिति, विधानसभा क्षेत्र, बूंदी जिले का मानचित्र, जिले की सीमा, District Map, District History Culture & Geography का विस्तार से अध्ययन करेंगे
बूंदी जिला राजस्थान के दक्षिण-पूर्वी हिस्से में स्थित है और अपनी ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और प्राकृतिक सुंदरता के लिए प्रसिद्ध है। इसे “बावड़ियों का शहर” और “छोटी काशी” के नाम से जाना जाता है। यहाँ की प्रमुख आकर्षण स्थलों में रानी जी की बावड़ी, तारागढ़ किला, 84 खंभों की छतरी और जैत सागर झील शामिल हैं।
बूंदी क्षेत्र प्रवासी पक्षियों का पसंदीदा स्थल भी है, जहाँ कई प्रजातियों के पक्षी सर्दियों में आते हैं। यह जिला भगवान परशुराम की तपोस्थली केशोरायपाटन और बांसी दूगारी में तेजाजी महाराज के पवित्र स्थान के लिए भी प्रसिद्ध है
District विधान सभा सीटे
1.हिंडोली
2.बूंदी
3.केशोरायपाटन
जिले का भौगोलिक-प्रशासनिक परिचय
प्राचीन नाम
- फुल्लकाबाद: बूंदी का प्राचीन नाम।
उपनाम
- छोटी काशी और राजस्थान की काशी: धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व के कारण।
- बावड़ियों का शहर: यहाँ की प्रसिद्ध बावड़ियों की वजह से।
- हाड़ौती की रानी: बूंदी का ऐतिहासिक महत्व इसे यह उपनाम देता है।
प्रमुख स्थल और विशेषताएँ
- रानी जी की बावड़ी
- यह एशिया की सर्वश्रेष्ठ बावड़ियों में गिनी जाती है।
- 84 खंभों की छतरी
- वास्तुकला का अद्भुत उदाहरण।
- बीजासन माता मंदिर
- धार्मिक स्थल।
- तारागढ़ दुर्ग
- बूंदी का प्रसिद्ध किला।
- कजली तीज
- बूंदी का प्रमुख त्योहार।
अन्य प्रमुख स्थान
- बांसों दुगरी
- इसे तेजाजी की कर्म स्थली के रूप में जाना जाता है।
- लाखेरी
- 1915 में यहाँ राजस्थान का पहला सीमेंट कारखाना क्लीनिक निक्सन कंपनी द्वारा स्थापित किया गया।
- लाखेरी और जैतावास दर्रा भी यहाँ स्थित हैं।
- केशोरायपाटन
- 1965 में यहाँ शुगर मिल लिमिटेड (सहकारी मिल) की स्थापना की गई।
- गरडड़ा
- यहाँ प्रथम वर्ल्ड राइडर रॉक पेंटिंग (मानव पर सवार पक्षी का चित्रण) पाई गई है।
- गरडड़ा बांध भी यहाँ स्थित है।
District History Culture & Geography || ..... Jila Darshn 2024
किले और महल
तारागढ़ दुर्ग
- 1354 ई. में महाराजा बरसिंह द्वारा निर्मित।
- इसका नाम तारे जैसी आकृति के कारण पड़ा।
- राणा लाखा ने नकली किला बनाकर प्रतिज्ञा पूरी की थी।
- दुर्ग में गर्भ गुंजन तोप, रतन दौलतखाना और अनिरुद्ध महल स्थित हैं। इसे “राजस्थान का डरावना किला” भी कहा जाता है।
राजमहल (गढ़ पैलेस)
- बूंदी राजपरिवार का निवास स्थान।
नैनवा किला
- नैनवा ठाकुर नैनसिंह द्वारा निर्मित।
इन्द्रगढ़ किला
- राजा इन्द्रसाल द्वारा निर्मित।
प्रसिद्ध बावड़ियाँ
रानी जी की बावड़ी
- अनिरुद्ध सिंह की रानी नाथावती द्वारा निर्मित।
- इसे “बावड़ियों की सिरमौर” कहा जाता है।
- 2017 में इस पर डाक टिकट जारी हुआ।
चम्पा बावड़ी, गुलाब बावड़ी, अनारकली की बावड़ी, और अन्य बावड़ियाँ।
अन्य ऐतिहासिक और धार्मिक स्थल
84 खंभों की छतरी
- अनिरुद्ध सिंह ने धाभाई देवा गुर्जर की स्मृति में निर्मित की।
सुख महल
- जैतासागर झील में जैता मीणा द्वारा निर्मित।
केशवराय विष्णु मंदिर, बीजासन माता मंदिर, नवल सागर, और फूल सागर।
चित्रशाला
- महाराव उम्मेद के समय रंगीन चित्रों की श्रृंखला का निर्माण।
संस्कृति और परंपराएँ
बूंदी चित्रकला
- उम्मेद सिंह के शासनकाल में इसका स्वर्णकाल।
- बारहमासा और पशु-पक्षी चित्रण के लिए प्रसिद्ध।
कजली तीज महोत्सव
- भाद्रपद कृष्ण तृतीया को मनाया जाता है।
सामाजिक सुधार
- 1822 ई. में महाराव रामसिंह द्वितीय ने सती प्रथा पर रोक लगाई थी।
- भारत में 1829 ई. में राजाराम मोहन राय के प्रयासों से इसे समाप्त किया गया
बूंदी का भौगोलिक परिदृश्य
भौगोलिक स्थिति
- बूंदी जिला राजस्थान के दक्षिण-पूर्व में हाड़ौती क्षेत्र का एक प्रमुख आंतरिक हिस्सा है। यह चारों ओर अरावली पहाड़ियों और जंगलों से घिरा है।
नदियाँ
- बूंदी में प्रमुख नदियाँ:
- मांगली
- मेज
- घोड़ा पछाड़
- इन्द्राणी
- कुराल
जलाशय और झीलें
- नवल सागर (नौलखा झील)
- जैत सागर
- फूल सागर
- दुगारी झील
वन्यजीव अभयारण्य
- रामगढ़ विषधारी अभयारण्य
- इसे राजस्थान का चौथा टाइगर रिजर्व घोषित किया गया।
सिंचाई परियोजनाएँ
- गुढ़ा बांध
- चाकण बांध
- भीमलत बांध
- बरधा बांध
- दुगारी बांध
- गरदड़ा सिंचाई परियोजना
- यह मंगली डूंगरी और गणेशी नाला नदियों पर आधारित है।
प्राकृतिक स्थल
- भीमतल जल प्रपात
- मांगली नदी पर स्थित है।
औद्योगिक और खनिज संसाधन
- बूंदी में बारोदिया क्षेत्र सिलिका रेत (काँच बालू) उत्पादन में राजस्थान में अग्रणी है।
महत्वपूर्ण तथ्य
- 1965 में केशोरायपाटन में राज्य की पहली सहकारी शुगर मिल स्थापित हुई।
- इसे “छोटी काशी”, “द्वितीय काशी”, और “बावड़ियों का शहर” भी कहा जाता है।
महत्वपूर्ण शासक और घटनाएँ
देवा हाड़ा (1240 ई.)
- हाड़ा वंश के संस्थापक। बूंदी में इस वंश की नींव रखी।
नाहरसिंह हाड़ा
- इनके समय मेवाड़ के राणा लाखा ने बूंदी पर बार-बार आक्रमण किए, लेकिन हर बार हार गए।
बरसिंह (1354 ई.)
- तारागढ़ दुर्ग का निर्माण करवाया।
राव सुर्जनसिंह
- मुगलों के अधीनता स्वीकारने वाले पहले बूंदी शासक। 1569 ई. में अकबर के साथ सहायक संधि की।
राव रतनसिंह हाड़ा
- मुगल सम्राट जहांगीर द्वारा “सर बुलन्दराय” और “रामराय” की उपाधि से सम्मानित।
अनिरुद्ध सिंह हाड़ा
- इनके पुत्र के डूबने की घटना ने “हाड़ो ले डूबयो गणगौर” कहावत को जन्म दिया।
विष्णु सिंह हाड़ा (1818)
- अंग्रेजों के साथ सहायक संधि की।
बहादुरसिंह हाड़ा
- राजस्थान के एकीकरण के समय बूंदी के शासक।
प्रमुख आंदोलन और क्रांति
- बूंदी प्रजामंडल (1931): संस्थापक कांतिलाल।
- हाड़ौती प्रजामंडल (1934): पं. नयनूराम शर्मा द्वारा स्थापित।
- डाबी हत्याकांड (1923): शांतिपूर्ण किसान सभा पर पुलिस द्वारा गोलीबारी, जिसमें नानजी भील और देवलाल गुर्जर शहीद हुए।
साहित्य और कला
- सूर्यमल्ल मिसण: हरणा गाँव के निवासी और महाराव रामसिंह द्वितीय के दरबारी कवि।
- रचनाएँ: वंश भास्कर, वीर सतसई, सती रासो आदि।
- राजस्थान के प्रथम कवि जिन्होंने अंग्रेजों के विरुद्ध क्रांति का शंखनाद किया।
पुरातत्व और कला धरोहर
- सिसोद (बूंदी): पुरातात्विक शैलचित्र।
- गरदड़ा (बूंदी): बर्ड राइडर रॉक पेंटिंग।