Dungarpur District History Culture & Geography || Dungarpur Jila Darshn 2024

आज के आर्टिकल में हम राजस्थान के डूंगरपुर जिले  |  डूंगरपुर District के बारे में विस्तार से जानेंगे। राजस्थान के नए जिले  से सम्बन्धी महत्वपूर्ण जानकारी जैसे-  जिले का क्षेत्रफल, जयपुर भौगोलिक स्थिति, डूंगरपुर  विधानसभा क्षेत्र, डूंगरपुर District History Culture & Geography का विस्तार से अध्ययन करेंगे।

 

डूंगरपुर राजस्थान का दक्षिणी जिला है, जिसे “पहाड़ियों का नगर” और “भीलों की पॉल” कहा जाता है। यह अपनी आदिवासी संस्कृति, प्राकृतिक सुंदरता और ऐतिहासिक धरोहरों के लिए प्रसिद्ध है। माही और जाखम नदियाँ यहाँ की प्रमुख जलधाराएँ हैं, और गैबसागर झील जैसे जल स्रोत इसे सिंचाई और पर्यटन में मदद करते हैं। जिले में स्थित बेणेश्वर धाम, जिसे “आदिवासियों का कुंभ” कहा जाता है, धार्मिक आस्था का प्रमुख केंद्र है। डूंगरपुर का लिंगानुपात राजस्थान में सबसे अधिक (994) है। यहाँ का सोम-कमला-अंबा परियोजना और नवलखा बावड़ी इसकी जल संरचनाओं की अद्भुत मिसाल हैं

District विधान सभा सीटे

डूंगरपुर
 
आसपुर
 
सागवाड़ा
 
चौसठी

जिले का भौगोलिक-प्रशासनिक परिचय

डूंगरपुर के विशेष पहलू

  1. नवचेतना बावड़ी: एक ऐतिहासिक जल संरचना।
  2. देश का पहला जैविक जिला: डूंगरपुर ने जैविक खेती में अग्रणी स्थान प्राप्त किया है।
  3. गेब सागर तालाब: एक प्रसिद्ध जलाशय, जिसके पास ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व है।
  4. एक ध्वजात्मक महल: क्षेत्र के राजसी गौरव का प्रतीक।
  5. हरे ग्रेनाइट का उत्पादन: जिले की खनिज संपदा में विशेष योगदान।
  6. गरीब वांस – वागड़ की मीर और भौगोलिक पांड्या – वागड़ की गांधी: सामाजिक और ऐतिहासिक व्यक्तित्व।

मान्डो की पाल

  • फ्लोरोसिस नॉनफिकेशन संयंत्र: स्वच्छ जल उपलब्धता के लिए एक पहल।

रत्नापाल कांड

  • काली बाई स्मारक (19 जून, 1947): आदिवासी महिलाओं के साहस और संघर्ष की स्मृति।
  • स्मारक गेब सागर झील के किनारे स्थित है।

बडगुदुनिया

  • देश का प्रथम आदिवासी महिला सरकारी मिनी बैंक: महिला सशक्तिकरण का उत्कृष्ट उदाहरण।

देव सोमनाथ

  • देव सोमनाथ मंदिर: सफेद पत्थरों से निर्मित यह मंदिर स्थापत्य कला का अद्भुत नमूना है।

बेणेश्वर

  • बेणेश्वर का मेला: आदिवासियों का कुंभ, जिसे “वागड़ का पुष्कर” भी कहा जाता है।
  • सोम, माही और जाखम नदियों का त्रिवेणी संगम: धार्मिक और पर्यावरणीय महत्व।
  • संत मावजी की पीठ: आध्यात्मिक केंद्र।

गल्लियाकोट

  • दाऊदी बोहरा समुदाय का प्रमुख केंद्र: सैयद फखरूद्दीन की मजार।
  • परमारों की प्राचीन राजधानी: ऐतिहासिक रूप से महत्वपूर्ण।
  • रमिकड़ा उद्योग: यहाँ का कुटीर उद्योग प्रसिद्ध है।

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बेणेश्वर धाम मेला

  • स्थान: नवाटापरा गाँव, डूंगरपुर।
  • आयोजन: भाघ पूर्णिमा को।
  • विशेषता:
    • त्रिवेणी संगम: सोम, माही, और जाखम नदियों का संगम।
    • संस्थापक: संत मावजी।
    • उपनाम:
      • वनवासियों का तीर्थस्थल।
      • मृत आत्माओं का मुक्तिस्थल।
      • भीलों का प्रयागराज।
    • पूजा: खंडित शिवलिंग की पूजा।

संत मावजी

  • जन्म: साबला गाँव, डूंगरपुर।
  • महत्व:
    • श्रीकृष्ण के निष्कंलक अवतार (कल्कि अवतार) माने जाते हैं।
    • बांगड़ी भाषा में उपदेश लिखे।
    • स्थापना: बेणेश्वर धाम।
    • रचना: चौपड़ा नामक ग्रंथ।

गवरी बाई

  • जन्म: डूंगरपुर।
  • उपनाम: वागड़ की मीरा।
  • रचना: कीर्ति माला।

भक्त कवि दुर्लभ

  • जन्मभूमि: डूंगरपुर और बांसवाड़ा।
  • उपनाम: राजस्थान का नृसिंह।

देव सोमनाथ मंदिर

  • स्थिति: सोम नदी के किनारे।
  • विशेषता: भगवान शिव को समर्पित।

एक थम्बिया महल

  • निर्माण: महारावल शिवसिंह ने अपनी माता ज्ञानेश्वरी की स्मृति में ज्ञानेश्वर शिवालय का निर्माण कराया।

खांडलाई आश्रम

  • स्थापना: 1934 में माणिक्यलाल वर्मा द्वारा।

नयाकोट

  • प्रसिद्ध: रमकड़ा उद्योग।
  • दाऊदी बोहरा उर्स:
    • आयोजन: मोहर्रम की 27वीं तारीख।
    • मजार: पीर फखरुद्दीन।

विजयराज राजेश्वर मंदिर

  • निर्माण: महारावल विजय सिंह द्वारा।

जूना महल

  • स्थान: डूंगरपुर।
  • विशेषता:
    • पांच मंजिला महल।
    • निर्माणकर्ता: वीरसिंह।

डामोर जनजाति

  • निवास: सीमलवाड़ा पंचायत, डूंगरपुर।
  • विशेषता:
    • पुरुष भी महिलाओं की तरह आभूषण पहनते हैं।

डूंगरपुर: मेले, इतिहास और अन्य महत्वपूर्ण तथ्य


प्रमुख मेले

  1. ग्यारस का रेवाड़ी का मेला
    • स्थान: डूंगरपुर।
  2. छेला बावजी का मेला
    • स्थान: पंचमहल, गुजरात।
  3. कण्डामार होली
    • स्थान: डूंगरपुर।

हस्तशिल्प

  • सोप स्टोन के कलात्मक खिलौने: डूंगरपुर की एक विशिष्ट कला।

प्रमुख मंदिर

  1. विजया माता मंदिर
  2. नागफनजी मंदिर
  3. सुरपुर मंदिर

ऐतिहासिक घटनाएँ

पुनावाड़ा हत्याकांड (जून 1947)

  • घटना: अंग्रेज सरकार ने रियासत की सहायता से पुनावाड़ा पाठशाला बंद करवाई।
  • शिक्षक शिवराम भील पर लाठीचार्ज किया गया।

रास्तापाल हत्याकांड (19 जून 1947)

  • घटना: अंग्रेजों ने नानाभाई खांट, सेगाभाई, और कालीबाई की हत्या कर दी।
  • परिणाम: रास्तापाल पाठशाला को बंद करवा दिया गया।

गोविंद गुरु (1858 – 1931)

  • जन्म: दिसम्बर 1858, बांसिया गाँव (बेड़सा ग्राम), डूंगरपुर।
  • परिवार: बंजारा परिवार।
  • कार्य:
    • भीलों में जनजागृति के लिए भगत आंदोलन चलाया।
    • 1883 ई. में सिरोही सम्प सभा की स्थापना।
    • निशाणीधूणी की स्थापना।

अन्य महत्वपूर्ण तथ्य

  1. बालक तीरंदाजी अकादमी: डूंगरपुर में स्थित।
  2. संत मावजी महाराज पैनोरमा: बेणेश्वर, डूंगरपुर।
  3. वागड़ महोत्सव:
    • तिथि: कार्तिक शुक्ल एकादशी।
    • क्षेत्र: डूंगरपुर और बांसवाड़ा क्षेत्र को वागड़ कहा जाता है।

डूंगरपुर का इतिहास

  1. संस्थापक: डूंगरसिंह (1358 ई.)।
  2. उपनाम: डूंगरपुर के राजाओं को महारावल की उपाधि दी जाती थी।
  3. महारावल उदयसिंह:
    • अपने दो पुत्रों पृथ्वीराज और जगमाल को बांसवाड़ा रियासत दी।
    • खानवा के युद्ध में भाग लिया।
  4. डूंगरपुर प्रजामंडल:
    • स्थापना: 1944 ई. में भोगीलाल पांड्या द्वारा।
    • भोगीलाल पांड्या:
      • सीमलवाड़ा, डूंगरपुर निवासी।
      • वागड़ के गांधी के नाम से प्रसिद्ध।
      • वागड़ सेवा संघ की स्थापना।

भौगोलिक विशेषताएँ

  1. स्थान:

    • दक्षिणी राजस्थान में स्थित।
    • पड़ोसी राज्य: गुजरात।
  2. मुख्य नदियाँ:

    • माही नदी
    • जाखम नदी
  3. जलवायु:

    • आर्द्र जलवायु।
  4. मिट्टी का प्रकार:

    • लाल-लोमी मिट्टी।

आंकड़े

  1. लिंगानुपात:

    • 994 (राजस्थान का सर्वाधिक लिंगानुपात)।
  2. साक्षरता दर:

    • 59.5%।

प्रमुख जल परियोजनाएँ और जल स्रोत

  1. गैबसागर झील:

    • स्थान: डूंगरपुर।
    • निर्माण: गोपीनाथ द्वारा।
    • इसे एडवर्ड सागर बांध भी कहा जाता है।
  2. भीखाभाई सागवाड़ा नहर:

    • यह नहर डूंगरपुर को सिंचाई में सहायता प्रदान करती है।
  3. सोम-कमला-अंबा परियोजना:

    • स्थान: सोम नदी पर।
    • स्थापना वर्ष: 1977।
    • आसपुर तहसील के सोम, कमला और अंबा गाँवों में स्थित।
  4. नौलखा बावड़ी:

    • निर्माण: आसकरण की रानी प्रीमल देवी ने करवाया।

विशेष स्थान

  • गैबसागर झील: अपनी प्राकृतिक सुंदरता के लिए प्रसिद्ध।
  • नवलखा बावड़ी: ऐतिहासिक महत्व और सुंदर वास्तुकला का प्रतीक।

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