Jaipur Gramin District History Culture & Geography के महत्वपूर्ण जानकारी || जयपुर ग्रामीण जिला दर्शन

आज के आर्टिकल में हम राजस्थान के नवसृजित जिले  जयपुर ग्रामीण  |  Jaipur Gramin District के बारे में विस्तार से जानेंगे। राजस्थान के नए जिले जयपुर ग्रामीण से सम्बन्धी महत्वपूर्ण जानकारी जैसे-  जिले का क्षेत्रफल, भौगोलिक स्थिति, विधानसभा क्षेत्र, जयपुर ग्रामीण जिले का मानचित्र, जयपुर ग्रामीण जिले की सीमा,जयपुर ग्रामीण जिला दर्शन  jila Map,  District History Culture & Geography का विस्तार से अध्ययन करेंगे।

जयपुर ग्रामीण जिला, जयपुर जिले से अलग कर राजस्थान का नया जिला बना है । इस जिले मे 13 उपखण्ड तथा 15+3 तहसीले है । जयपुर ग्रामीण जिला का जिला मुख्यालय जयपुर मे ही रहेगा । जयपुर ग्रामीण जिले की सर्वाधिक 10 जिलो के साथ सीमा लगती है । जयपुर ग्रामीण अन्तवर्ति जिला है । इस जिले की कोई अन्तराज्य एवं अन्तराष्ट्रीय सीमा नही लगती है 

जिले का उपखंड

1. जयपुर (मुख्य क्षेत्र):

  • तहसील:
    • जयपुर (नगर निगम जयपुर हेरिटेज एवं ग्रेटर के अंतर्गत आने वाले भाग को छोड़कर अन्य समस्त भाग)।
    • कालवाड़ (नगर निगम जयपुर ग्रेटर के अंतर्गत आने वाले भाग को छोड़कर अन्य समस्त भाग)।

2. सांगानेर:

  • तहसील:
    • सांगानेर (नगर निगम जयपुर ग्रेटर के अंतर्गत आने वाले भाग को छोड़कर अन्य समस्त भाग)।

3. आमेर:

  • तहसील:
    • आमेर (नगर निगम जयपुर हेरिटेज के अंतर्गत आने वाले भाग को छोड़कर अन्य समस्त भाग)।
    • जालसू।

4. बस्सी:

  • तहसील:
    • बस्सी।
    • तुंगा।

5. चाकसू:

  • तहसील:
    • चाकसू।
    • कोटखावदा।

6. जमवारामगढ़:

  • तहसील:
    • जमवारामगढ़।
    • आंधी।

7. चौमू:

  • तहसील:
    • चौमू।

8. सांभरलेक:

  • तहसील:
    • फुलेरा (मुख्यालय: सांभरलेक)।

9. माधोराजपुरा:

  • तहसील:
    • माधोराजपुरा।

10. रामपुरा डाबड़ी:

  • तहसील:
    • रामपुरा डाबड़ी।

11. किशनगढ़ रेनवाल:

  • तहसील:
    • किशनगढ़ रेनवाल।

12. जोबनेर:

  • तहसील:
    • जोबनेर।

13. शाहपुरा:

  • तहसील:
    • शाहपुरा।

जिले का भौगोलिक-प्रशासनिक परिचय

 

  1. घोषणा की तारीख: 17 मार्च, 2023
  2. मंत्रिमण्डल की मंजूरी: 04 अगस्त, 2023
  3. अधिसूचना जारी: 06 अगस्त, 2023
  4. अधिसूचना लागू: 07 अगस्त, 2023
  5. स्थापना दिवस: 07 अगस्त, 2023
  6. उद्घाटनकर्ता: लालचन्द कटारिया (कृषि मंत्री)

जिले का गठन

  1. किस जिले से अलग होकर बना: जयपुर
  2. संभाग: जयपुर संभाग के अंतर्गत

सीमाएँ

  • इस नए जिले की सीमाएँ 10 जिलों से लगती हैं:
    • जयपुर
    • सीकर
    • अलवर
    • दौसा
    • टोंक
    • अजमेर
    • नीम का थाना
    • कोठपुतली-बहरोड़
    • डीडवाना-कुचामन
    • दूदू

जयपुर ग्रामीण की प्रमुख नदियाँ 

 

1. साबी नदी/साहिबी नदी

  • उद्गम: सेवर की पहाड़ियाँ (जयपुर ग्रामीण)।
  • प्रवाह क्षेत्र: जयपुर ग्रामीण, कोटपुतली-बहरोड़, खैरथल-तिजारा।
  • समापन: पटौदी गाँव, नजफगढ़ झील (हरियाणा)।
  • विशेषता:
    • यह नदी कोटपुतली-बहरोड़ जिले में जोधपुरा सभ्यता के पास से गुजरती है।
    • नदी का ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व है।

2. मेंथा नदी

  • उद्गम: मनोहरपुरा की पहाड़ियाँ (जयपुर ग्रामीण)।
  • समापन: सांभर झील (जयपुर ग्रामीण)।
  • प्रवाह क्षेत्र:
    • जयपुर ग्रामीण।
    • डीडवाना-कुचामन।
  • विशेष स्थल:
    • इस नदी के किनारे लुणवा जैन तीर्थ (नावा तहसील, डीडवाना-कुचामन जिला) स्थित है।

3. मेंधा नदी

  • उद्गम: मनोहरपुरा की पहाड़ियाँ (जयपुर ग्रामीण)।
  • प्रवाह क्षेत्र: जयपुर ग्रामीण और डीडवाना-कुचामन।
  • समापन: सांभर झील।

4. बाणगंगा नदी

  • उद्गम: बैराठ की पहाड़ियाँ (कोटपुतली-बहरोड़)।
  • महत्त्वपूर्ण संरचना:
    • इस नदी पर जमवारामगढ़ बांध स्थित है।
    • जमवारामगढ़ बांध से जयपुर क्षेत्र में पानी की आपूर्ति होती है, इसलिए इसे “जयपुर की जीवन रेखा” कहा जाता है।

जमवारामगढ़ बांध (जयपुर ग्रामीण)

  • निर्माण: 1897-1903 में महाराजा माधोसिंह द्वितीय द्वारा।
  • महत्त्व:
    • इसे जयपुर की जीवन रेखा माना जाता है।
    • 1982 के एशियाई खेलों की नौकायन प्रतियोगिता का आयोजन यहीं हुआ था।
  • इसमें गिरने वाली नदियाँ:
    • बाणगंगा नदी।
    • ताल नदी।
    • माधोवती नदी।
    • रोहड़ा नदी।

सांभर झील

  • राजस्थान की सबसे बड़ी खारे पानी की झील।
  • नदियों का मुख्य संगम स्थल:
    • मेंथा नदी।
    • मेंधा नदी।

अतिरिक्त जानकारी

  • जोधपुरा सभ्यता:
    • कोटपुतली-बहरोड़ क्षेत्र में स्थित।
    • यह क्षेत्र ऐतिहासिक दृष्टि से प्राचीन सभ्यताओं के लिए प्रसिद्ध है।
  • लुणवा जैन तीर्थ:
    • धार्मिक महत्व का स्थान, जो जैन समुदाय के लिए पवित्र है।

सांभर झील (जयपुर ग्रामीण)

प्राचीन नाम:

  • सपालदक्ष – यह सांभर झील का ऐतिहासिक नाम है।

भौगोलिक विशेषताएँ:

  1. यह भारत की सबसे बड़ी खारे पानी की झील है।
  2. यह चार जिलों से जुड़ी है:
    • जयपुर ग्रामीण।
    • दूदू।
    • अजमेर।
    • डीडवाना-कुचामन।
  3. झील का क्षेत्र राजस्थान का निम्नतम बिंदु है।

सांभर झील में गिरने वाली नदियाँ:

  1. मेथा नदी।
  2. रूपनगढ़ नदी।
  3. खारी नदी।
  4. खण्डेला नदी।

पर्यावरणीय और जैव विविधता का महत्व:

  • शीतकाल में झील पर उत्तरी एशिया के फ्लेमिंगो (राजहंस), जो गुजरात का राज्य पक्षी है, आते हैं।
  • झील में पाए जाने वाले विशेष प्रकार के शैवाल और बैक्टीरिया का उपयोग नाइट्रोजन युक्त खाद बनाने में होता है।

आर्थिक महत्त्व:

  • नमक उत्पादन:
    • यह झील भारत का 8.7% और राजस्थान का 90-92% नमक उत्पादन करती है।
  • उद्योग:
    • हिंदुस्तान सांभर साल्ट लिमिटेड की स्थापना 1964 में अमेरिका के सहयोग से हुई।

ऐतिहासिक महत्त्व:

  1. अकबर की विवाह स्थली:
    • सांभर में अकबर ने भारमल की पुत्री जोधाबाई (हरका बाई) से विवाह किया था।
  2. झील का ऐतिहासिक संदर्भ इसे राजस्थान के प्राचीन काल से जोड़ता है।

अंतरराष्ट्रीय महत्त्व:

  • रामसर साइट का दर्जा:
    • सांभर झील को 23 मार्च, 1990 को रामसर साइट घोषित किया गया।

जयपुर ग्रामीण की महत्वपूर्ण जानकारी

इतिहास एवं सांस्कृतिक धरोहर

  1. जमवारामगढ़:

    • निर्माणकर्ता: वासुदेव चौहान (शाकंभरी के चौहान शासक)।
    • यह जयपुर के कच्छवाहा शासकों की प्राचीन राजधानी था।
    • यहाँ 750 वर्ष से अधिक पुराने चाँदी के 82 सिक्के मिले हैं।
    • नागरिक प्रशिक्षण संस्थान: जमवारामगढ़ में स्थित।
  2. जगत शिरोमणि मंदिर, आमेर:

    • निर्माण: राजा मानसिंह की रानी कनकावती द्वारा अपने पुत्र जगतसिंह की स्मृति में।
    • इस मंदिर में कृष्ण की काले रंग की मूर्ति की पूजा होती है।
  3. शीतला माता मंदिर, चाकसू:

    • निर्माण: सवाई माधोसिंह प्रथम
    • माता का उपनाम: चेचक रोग निवारक देवी, सुहाग की देवी।
    • मेला: चैत्र कृष्ण सप्तमी और अष्टमी।
    • इसे “बैलगाड़ी का मेला” भी कहा जाता है।
    • माता का प्रतीक चिन्ह: दीपक।

कृषि और विकास केंद्र

  1. श्री कर्ण नरेन्द्र कृषि विश्वविद्यालय: जोबनेर।
  2. गौ वंश संवर्द्धन फार्म: बस्सी।
  3. अनार सेंटर ऑफ एक्सीलेंस (COE): बस्सी।
  4. राज्य की सबसे बड़ी मेट्रो डेयरी: बस्सी।
  5. जैतून पार्क, बस्सी: यहाँ जैतून चाय (ऑलिव टी) का उत्पादन होता है।

प्राकृतिक संसाधन और खनिज

  1. लौह अयस्क: चौमू, मोरिजा-बानौला।
  2. डोलामाइट: जयपुर ग्रामीण।
  3. कानोता बांध (बस्सी):
    • राज्य का सबसे बड़ा मछली उत्पादन केंद्र

अन्य महत्त्वपूर्ण स्थल

  1. गधों का मेला:

    • स्थान: लुणियावास, भानगढ़।
    • उत्तर भारत का सबसे बड़ा मेला, जो दशहरे पर आयोजित होता है।
  2. फुलेरा (जयपुर ग्रामीण):

    • एशिया का सबसे बड़ा मीटर गेज रेलवे यार्ड
    • यहाँ की रासलीला प्रसिद्ध है।

परिवहन और प्रमुख मार्ग

  • जयपुर ग्रामीण से निम्न राष्ट्रीय राजमार्ग गुजरते हैं:
    • NH-21
    • NH-48
    • NH-52
    • NH-148

 

धार्मिक और ऐतिहासिक स्थल

  1. ज्वाला माता (जोबनेर)

    • कुलदेवी: खंगारोत राजपूतों की।
    • प्रसंग: लाल बेग द्वारा आक्रमण के समय मधुमक्खियों ने सेना पर हमला किया।
  2. जमवाय माता (जमवारामगढ़):

    • निर्माण: दुल्हेराय द्वारा।
    • कच्छवाहा शासकों की कुलदेवी।
    • जमवारामगढ़: “ढूढाड़ का पुष्कर”।
  3. शाकम्भरी माता मंदिर (सांभर):

    • उपनाम: “शाक (कंद-मूल) की देवी”।
    • निर्माण: वासुदेव चौहान।
    • अजमेर के चौहान वंश की कुलदेवी।
  4. देवयानी तीर्थ (सांभर):

    • उपनाम: “तीर्थों की नानी”।
    • संबद्ध: पुष्कर (अजमेर) को मामा और मचकुंड (धौलपुर) को भांजा कहते हैं।
  5. चीर हनुमान मंदिर (सामोद):

    • राजस्थान का चौथा रोपवे (स्थापित: 25 मई 2019)

प्रमुख दुर्ग और महल

  1. सामोद महल:

    • निर्माण: बिहारीदास कच्छवाह।
    • प्रसिद्ध: भित्ति चित्रों और वर्तमान में होटल के रूप में।
    • सात बहनों का मंदिर यहाँ स्थित है।
  2. चौमू का किला:

    • प्रमुख महल:
      • माधो निवास महल (निर्माण: माधोसिंह)।
      • शीश महल (निर्माण: शिवसिंह)।
  3. अन्य दुर्ग:

    • करणसर किला (सांभर)।
    • नायला दुर्ग (जमवारामगढ़)।
    • बोराज दुर्ग।
    • जोबनेर दुर्ग।
    • साईवाढ़ दुर्ग।
    • माधोराजपुरा दुर्ग (तुंगा युद्ध में विजय के उपलक्ष्य में माधोसिंह प्रथम द्वारा निर्मित)।

कृषि और पशुपालन

  1. श्री कर्ण नरेंद्र कृषि विश्वविद्यालय (जोबनेर)।
  2. 16वां पशु विज्ञान केंद्र (जोबनेर)।
  3. गौ वंश संवर्धन फार्म (बस्सी)।
  4. अनार सेंटर ऑफ एक्सीलेंस (बस्सी)।
  5. जैतून पार्क (बस्सी): जैतून चाय (ऑलिव टी) का उत्पादन।

पर्यटन और मेलों का महत्व

  1. गधों का मेला (लुणियावास): उत्तर भारत का सबसे बड़ा मेला, दशहरे पर आयोजित।
  2. आंवला मंडी (चौमू)।
  3. पुष्प मंडी (मुहाना)।
  4. टिंडा मंडी (शाहपुरा)।
  5. मटर मंडी (बस्सी)।

खान और खनिज

  1. लौह अयस्क: चौमू, मोरिजा-बानौला।
  2. डोलामाइट: जयपुर ग्रामीण।

उद्योग और व्यापार

  1. इंटीग्रेटेड टेक्सटाइल पार्क (बगरू): वस्त्र रंगाई और छपाई (बगरू प्रिंट)।
  2. चमड़ा उद्योग (मानपुरा माचेड़ी)।
  3. इलेक्ट्रॉनिक्स कॉम्पलेक्स और हार्डवेयर टेक्नोलॉजी पार्क (कूकस)।
  4. राष्ट्रीय सूचना प्रौद्योगिकी संस्थान (रूपा की नांगल)।

अन्य प्रमुख स्थल और घटनाएँ

  1. बगरू का युद्ध (20 अगस्त 1748): माधोसिंह और सवाई ईश्वरी सिंह के बीच (ईश्वरी सिंह विजयी)।
  2. सांभर की संधि: प्रतापसिंह ने मराठों को 60 लाख रुपये और अजमेर का परगना लौटाया।
  3. हाथी गाँव (कुण्डा, आमेर): प्रसिद्ध हाथी सफारी के लिए।
  4. नायला:
    • राजस्थान का पहला इंटरनेट से जुड़ा गाँव।
    • पूर्व राष्ट्रपति बिल क्लिंटन द्वारा दौरा किया गया।
  5. अनिल अग्रवाल अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट स्टेडियम (चौप, आमेर): दुनिया का तीसरा और भारत का दूसरा सबसे बड़ा क्रिकेट स्टेडियम।

प्रसिद्ध व्यक्तित्व

  • हीरालाल शास्त्री:

    • जन्म: जोबनेर।
    • राजस्थान के पहले मुख्यमंत्री (30 मार्च 1949)।
    • “जीवन कुटीर” संस्था के संस्थापक।
    • पुस्तक: “प्रत्यक्ष जीवनशास्त्र”।
  • मुन्ना मास्टर (रमजान खान):

    • जन्म: बगरू।
    • 2020 में पद्मश्री से सम्मानित।

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