आज के आर्टिकल में हम राजस्थान के जालौर जिले | जालौर District के बारे में विस्तार से जानेंगे। राजस्थान के नए जिले से सम्बन्धी महत्वपूर्ण जानकारी जैसे- जिले का क्षेत्रफल, जालौर भौगोलिक स्थिति, जयपुर विधानसभा क्षेत्र, जालौर District History Culture & Geography का विस्तार से अध्ययन करेंगे।
जालौर, राजस्थान का एक ऐतिहासिक जिला, अपनी समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर और ऐतिहासिक स्थलों के लिए प्रसिद्ध है। इसे “सोनगिरी” या “गोल्डन माउंट” भी कहा जाता है। यहां का जालौर दुर्ग, जो सुवर्णगिरी पहाड़ी पर स्थित है, अपनी अद्भुत वास्तुकला और चार प्रवेश द्वारों के लिए विख्यात है। भीनमाल, जालौर का हिस्सा, महाकवि माघ और गणितज्ञ ब्रह्मगुप्त की जन्मभूमि है। यहां का भालू अभयारण्य, राजस्थान का पहला और देश का चौथा भालू संरक्षण केंद्र है। जालौर की कशीदाकारी जूतियां और खेसला उद्योग भी प्रसिद्ध हैं। धार्मिक स्थलों में आपेश्वर महादेव और मांडोली तीर्थ प्रमुख हैं।
District विधान सभा सीटे
जिले का भौगोलिक-प्रशासनिक परिचय
सामान्य परिचय
- स्वर्णगिरी पहाड़ी के पूर्वी भाग में स्थित महर्षि जाबालि की तपोभूमि, सुवर्ण नगरी से प्रसिद्ध जालौर को पहले जाबालिपुर और जालहुर कहा जाता था।
- स्वतंत्रता प्राप्ति के पूर्व, जालौर जिला तत्कालीन भारवाड़ रियासत का हिस्सा था।
- 30 मार्च 1949 को राजस्थान निर्माण के समय यह जोधपुर रियासत के साथ राजस्थान राज्य में विलय हो गया।
- इस जिले को ग्रेनाइट सिटी उपनाम से भी जाना जाता है।
इतिहास
- मध्यकाल में जालन्धर नाथ ऋषि के नाम पर इसे जालन्धर के नाम से जाना जाता था।
- प्रतिहार नागभट्ट ने चावण्डों से सत्ता छीनकर जालौर को अपनी राजधानी बनाया।
- प्रतिहारों ने जालौर दुर्ग का निर्माण कराया।
- 1181 ई. में जालौर के चौहान वंश की स्थापना कीर्तिपाल चौहान ने की।
कीर्तिपाल (कीतू) ने 1181 में जालौर चौहान वंश (सोनगरा) की स्थापना की। - जालौर के चौहान शासकों का आदिपुरुष, मूल पुरुष था कान्हड़देव, जो
- जालौर के चौहान शासकों में सबसे शक्तिशाली राजा था।
- 1305 में सुलतान अलाउद्दीन खिलजी ने सैनिक ऐन-उल-मुल्क मुल्तानी को जालौर के कीर्तिपाल को समझाने के लिए भेजा।
- 1311 में अलाउद्दीन ने जालौर पर आक्रमण किया, लेकिन वह सफल नहीं हुआ।
- कान्हड़देव के एक विश्वासघाती सरदार बीका के कारण दुर्ग पर अलाउद्दीन का अधिकार हो गया।
- अलाउद्दीन ने जालौर जीतने के बाद इसका नाम बदलकर जलालाबाद कर दिया।
- अखैराज के शासनकाल में पद्मनाभ ने ‘कान्हड़दे प्रबंध’ की रचना की।
भौगोलिक परिदृश्य
नदियाँ:
- जवाई नदी
- सूकड़ी नदी
पहाड़ियाँ:
- जसवंतपुरा की पहाड़ियाँ
- कंचनगिरी
- कन्यागिरी
चोटियाँ:
- सुंधापर्वत – 991 मीटर
- डोरापर्वत – 869 मीटर
- ईसाराना – 839 मीटर
- रोजा भाखर – 730 मीटर
- झाडोला पर्वत – 588 मीटर
बाँध:
- बाँकली बाँध
- बाँकली बाँध परियोजना सूकड़ी नदी पर बनाई गई है, जो जालौर में पेयजल आपूर्ति का मुख्य स्रोत है। सूकड़ी नदी, लूनी नदी की सहायक नदी है।
खनिज
जालौर में प्रमुख खनिजों में ग्रेनाइट, जिप्सम, और संगमरमर शामिल हैं।
यहां का गुलाबी ग्रेनाइट प्रसिद्ध है, और जालौर ग्रेनाइट चट्टानों में प्रमुख खनिज है
District History Culture & Geography || ..... Jila Darshn 2024
प्रमुख धार्मिक स्थल
श्री लक्ष्मी वल्लभ पार्श्वनाथ 72 जिनालय जैन मंदिर
- जालौर जिले के भीनमाल में स्थित है।
- यह देश का सबसे बड़ा जैन मंदिर है और राजस्थान में क्षेत्रफल की दृष्टि से सबसे बड़ा मंदिर है।
- यह मंदिर 2 मई 1996 (संवत् 2053 वैशाख शुक चतुर्दशी) को स्थापित किया गया।
- मंदिर का नाम जैन धर्म के 23वें तीर्थंकर पार्श्वनाथ के नाम पर रखा गया।
नीलकण्ठ महादेव मंदिर
- यह जालौर जिले की भाद्राजून तहसील में स्थित है।
- महादेव मंदिर का निर्माण अलाउद्दीन खिलजी ने करवाया।
- यह मंदिर मस्जिदाकार आकृति में बना हुआ है।
क्षेमकरी माता
- यह मंदिर भीनमाल में स्थित है और इन्हें भीनमाल की खीमल माता भी कहते हैं।
- यह मंदिर सौलंकी वंश की कुलदेवी हैं।
वीर फत्ताजी का मंदिर
- राजस्थान के लोक देवता वीर फत्ताजी का मंदिर जालौर जिले के सांधू गांव में स्थित है।
- वीर फत्ताजी शस्त्र विद्या के विद्वान थे।
खेतला जी का मंदिर
- यह मंदिर जालौर जिले के सियाणा गांव में स्थित है।
- खेतला जी को जगदम्बा का पुत्र माना जाता है।
- खेतला जी की मूर्ति जालौर जिले में जंजीरों से बंधी हुई है और इसी रूप में पूजा होती है।
धोली माता का मंदिर
- यह मंदिर जालौर जिले के हर्षवाडा गांव में स्थित है।
- यहां महिषासुर मर्दिनी की मूर्ति स्थापित है।
सिरे मंदिर
- यह मंदिर मारवाड़ के राठौड़ वंश के शासक मानसिंह ने बनवाया था।
- यह मंदिर नाथ सम्प्रदाय के नाथ मुनि जालंधर की तपोभूमि है।
प्रमुख स्थल
भीनमाल
- भीनमाल को श्रीमाल पुष्पमाल, भिल्लमाल, रत्नमाल, आलमाल, और वीरनगर आदि नामों से जाना जाता है।
- यह कस्बा प्राचीनकाल में एक महत्वपूर्ण व्यापारिक केंद्र था और 7वीं सदी के मध्य तक चावड़ा अथवा छाप राजपूतों की राजधानी था।
- युवान च्वांग ने इसे गुर्जर देश की राजधानी पी-लो-मो-लो बताया था।
- भीनमाल 8वीं सदी में गुर्जर-प्रतिहारों की राजधानी बनी।
- यह क्षेत्र संस्कृत के प्रसिद्ध कवि माघ और खगोलशास्त्री ब्रह्मगुप्त का जन्म स्थल भी था।
बडगांव
- इस गांव में सुकाल नदी बहती है।
- बड़गांव को जालौर का कश्मीर कहा जाता है।
- यहां महावीर स्वामी और भैरव जी के प्रमुख मंदिर स्थित हैं।
भादाजुण
- भाद्राजुण जोधपुर राज्य का ‘ए’ श्रेणी का ठिकाना है।
- यहां सुभद्रा माता का मंदिर स्थित है, जिन्हें धुमड माता भी कहा जाता है।
- राव चन्द्रसेन और राव मालदेव ने भाद्राजुण दुर्ग में शरण ली थी।
विविध तथ्य
सुवर्णगिरी एवं डोरा पर्वत
सुवर्णगिरी और डोरा पर्वत जालौर जिले की प्रमुख पर्वत चोटियाँ हैं।
नसौली गाँव
भीनमाल के नसौली गाँव में पीले ग्रेनाइट के भंडार मिले हैं।
कला एवं संस्कृति
ढोल नृत्य
- इस नृत्य को प्रकाश में लाने का श्रेय जयनारायण व्यास को जाता है।
- विवाह के अवसर पर आयोजित ढोल नृत्य थाकना शैली में किया जाता है।
- राज्य की प्रसिद्ध ढोल वादक जातियाँ इस नृत्य में भाग लेती हैं।
भाटा गैर
- जालौर जिले में सुंधा माता या चामुण्डा माता के मंदिर के सामने मैदान में
- होली के दूसरे दिन भाटा गैर का आयोजन किया जाता है।
प्रमुख व्यक्तित्व
महाकवि माघ
- जन्मस्थान: भीनमाल।
- रचना: शिशुपाल वध।
ब्रह्मगुप्त
- 7वीं सदी के प्रसिद्ध गणितज्ञ एवं खगोलशास्त्री।
- रचना: ब्रह्मास्फुट सिद्धांत।
पद्मनाथ
- वर्ष 1512 में कान्हडदे प्रबंध की रचना की।
- भाषा: गुजराती व राजस्थानी।
- यह ग्रंथ चौहानों के इतिहास की दृष्टि से महत्वपूर्ण है।
उद्योतन सूरी
- जन्म: 8वीं शताब्दी, जालौर।
- रचना: कुवलयमाला (778 ईस्वी)।
- कुवलयमाला में 18 देशी भाषाओं का उल्लेख, जिनमें से एक मरूभाषा थी।
चीनी यात्री ह्वेनसांग
- भारत भ्रमण: 15 वर्षों तक।
- काल: हर्षवर्धन का समय।
- भीनमाल को पी-लो-मिलो कहा।
- पुस्तक: सी.यू.की. में भारत का वर्णन।
दर्शनीय स्थल
जालौर का दुर्ग
- स्थान: सुवर्णगिरी/कनकांचल पहाड़ी पर।
- प्रवेश द्वार: सूरजपोल, ध्रुवपोल, चांदपोल, सिरेपोल।
- दुर्ग के अन्य नाम: सोनगिरी या गोल्डन माउंट।
- प्रमुख स्थल:
- विरमदेव की चौकी।
- कान्हड़देव चौहान का महल।
- मलिक शाह पीर की दरगाह।
- दो मंजिला रानी महल।
- तोपखाना मस्जिद।
- परमारकालीन कीर्ति स्तंभ।
- शांतिनाथ जैन मंदिर।
- महाराजा मानसिंह का महल।
कोट कास्तां दुर्ग
- स्थान: भीनमाल तहसील।
- निर्माण: नाथमुनि भीमनाथ।
- कोट और कास्तां गांवों का एकीकरण।
अन्य महत्वपूर्ण तथ्य
पीरजी का उर्स (जालौर)
- हिन्दू-मुस्लिम संस्कृति का परिचायक।
भालू अभयारण्य (भीनमाल)
- स्थान: जसवंतपुरा की पहाड़ियाँ।
- राज्य का पहला एवं देश का चौथा भालू संरक्षण केंद्र।
भावतरा (जालौर)
- भारत सरकार का राजस्थान में दूसरा सूखा बंदरगाह।
आपेश्वर महादेव मंदिर (जालौर)
- राजस्थान का पहला सफेद स्फटिक शिवलिंग।
- खारे पानी का गोमती कुंड।
तल्लीनाथ जी का मंदिर (पांचोटा गांव)
जगनाथ महादेव मंदिर (जालौर)
मांडोली तीर्थ (जालौर)
- निर्माण: किशनचंद द्वारा।
हरजी गाँव (जालौर)
- मिट्टी और लकड़ी से निर्मित खिलौनों के लिए प्रसिद्ध।
भीनमाल (जालौर)
- कशीदाकारी जूतियों के लिए प्रसिद्ध।
लेटा ग्राम (जालौर)
- खेसला उद्योग के लिए प्रसिद्ध।